By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
DND News 24DND News 24DND News 24
  • Home
  • राजनीति
  • इंदौर
  • पीआईबी / जनसंपर्क
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • बिजनेस
  • स्वास्थ्य
  • More
    • क्रिकेट
    • धर्म/ज्योतिष
    • शिक्षा
Search
  • Advertise
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
Reading: वक्फ कानून में 14 बड़े बदलाव, महिलाओं और गैर-मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में होगी एंट्री
Share
Sign In
Notification Show More
Aa
DND News 24DND News 24
Aa
  • Home
  • राजनीति
  • इंदौर
  • पीआईबी / जनसंपर्क
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • बिजनेस
  • स्वास्थ्य
  • More
Search
  • Home
  • राजनीति
  • इंदौर
  • पीआईबी / जनसंपर्क
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • बिजनेस
  • स्वास्थ्य
  • More
    • क्रिकेट
    • धर्म/ज्योतिष
    • शिक्षा
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Advertise
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
DND News 24 > Blog > hindi samachar > वक्फ कानून में 14 बड़े बदलाव, महिलाओं और गैर-मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में होगी एंट्री
hindi samacharindore

वक्फ कानून में 14 बड़े बदलाव, महिलाओं और गैर-मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में होगी एंट्री

Nalin Dixit
Last updated: 2025/04/03 at 12:04 पूर्वाह्न
Nalin Dixit
Share
14 Min Read
SHARE

इंदौर नलिन दीक्षित

जानें मुस्लिम क्यों हैं नाराज
भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। करीब 9.4 लाख एकड़। इतनी जमीन में दिल्ली जैसे 3 शहर बस जाएं।
इसी वक्फ बोर्ड से जुड़े एक्ट में बदलाव के लिए केंद्र सरकार आज संसद में बिल पेश करेगी। विपक्ष के नेता और मुसलमानों का एक बड़ा तबका इसके विरोध में हैं।
वक्फ कानून में सरकार क्या-क्या बदलने जा रही, मुस्लिमों का एक बड़ा तबका इसके खिलाफ क्यों है और इसके पीछे की राजनीति क्या है; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर
वक्फ संशोधन बिल पर अब तक क्या-क्या हुआ है?
2024 को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया गया। देश भर में इसके खिलाफ प्रदर्शन हुए। इसके बाद बिल के ड्राफ्ट को संसद की जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) को भेज दिया गया। 27 जनवरी 2025 को JPC ने बिल के ड्राफ्ट को मंजूरी देकर JPC में शामिल NDA सांसदों के सुझाए 14 संशोधनों को स्वीकार किया, जबकि विपक्षी सांसदों के संशोधनों को खारिज कर दिया। 31 सदस्यीय JPC में 21 सदस्य लोकसभा और 10 सदस्य राज्यसभा के थे। कुल 31 में से 19 NDA के सांसद, 11 विपक्षी दलों के सांसद और AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी शामिल थे।
13 फरवरी 2025 को JPC की रिपोर्ट संसद में पेश की गई। 19 फरवरी 2025 को कैबिनेट की बैठक में बिल को मंजूरी मिल गई और अब 2 अप्रैल को संसद में पेश होगा। 8 घंटे की बहस के बाद इस पर वोटिंग होगी।
वक्फ आखिर होता क्या है?
वक्फ’ अरबी भाषा के ‘वकुफा’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है- ठहरना, रोकना या निषिद्ध करना। 27 देशों के वक्फ की संपत्तियों पर काम करने वाली संस्था ‘औकाफ प्रॉपर्टीज इन्वेस्टमेंट फंड’ (AIPF) के मुताबिक, कानूनी शब्दों में ‘इस्लाम में कोई व्यक्ति जब धार्मिक वजहों से या ईश्वर के नाम पर अपनी प्रॉपर्टी दान करता है तो इसे प्रॉपर्टी वक्फ कर देना कहते हैं।’ फिर वो चाहे कुछ रुपए की रकम हो या बेशकीमती हीरे-जवाहरात से भरी हुई एक पूरी इमारत।
अमूमन ऐसी प्रॉपर्टीज को ‘अल्लाह की संपत्ति’ कहा जाता है। अपनी प्रॉपर्टी वक्फ को देने वाला इंसान ‘वकिफा’ कहलाता है। वकिफा ये शर्त रख सकता है कि उसकी संपत्ति से होने वाली आमदनी सिर्फ पढ़ाई पर या अस्पतालों पर ही खर्च हो।
इन संपत्तियों को बेचा या धर्म के अलावा किसी और मकसद के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। पैगंबर मोहम्मद के समय खजूर के 600 पेड़ों का एक बाग वक्फ का सबसे पहला उदाहरण माना जाता है। इससे होने वाली कमाई से मदीना के गरीबों की मदद की जाती थी।
भारत में वक्फ की कितनी प्रॉपर्टीज हैं?
भारत में वक्फ की परंपरा का इतिहास 12वीं सदी में दिल्ली सल्तनत के समय से जुड़ा है।
भारत में ज्यादातर वक्फ प्रॉपर्टीज पर मस्जिदें, मदरसे, कब्रिस्तान और यतीमखाने यानी मुस्लिम बच्चों के लिए अनाथालय खुले हैं। कई प्रॉपर्टीज खाली पड़ी हैं या फिर उन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है।
वक्फ की संपत्तियों का कामकाज कैसे और किस कानून के तहत चलता है?
आजादी के बाद 1954 में वक्फ एक्ट बना, 1995 में कुछ संशोधनों के साथ नया वक्फ एक्ट बना। 2013 में भी कई बदलाव हुए। इसके तहत…
वक्फ बोर्ड नाम का एक ट्रस्ट बनाया गया। इसी के साथ इस्लाम से जुड़ी सभी धार्मिक संपत्ति वक्फ बोर्ड के हिस्से आ गईं।
लगभग सभी मुस्लिम धर्मस्थल वक्फ बोर्ड एक्ट के तहत आते हैं, लेकिन कुछ अपवाद भी हैं। मसलन, ये कानून अजमेर शरीफ दरगाह पर लागू नहीं होता। इसके मैनेजमेंट के लिए दरगाह ख्वाजा साहिब एक्ट 1955 बना हुआ है।
मौजूदा वक्फ एक्ट के तहत वक्फ संपत्तियों का कामकाज देखने के लिए बनी सेंट्रल वक्फ काउंसिल भारत सरकार को वक्फ से जुड़े मुद्दों पर सलाह देती है।
इसके अलावा राज्यों में दो 2 बोर्ड्स होते हैं- सुन्नी वक्फ बोर्ड और शिया वक्फ बोर्ड।
इन बोर्डों का एक चेयरमैन होता है, दो सदस्य राज्य सरकार तय करती है। इसमें मुस्लिम विधायक, मुस्लिम सांसद, मुस्लिम टाउन प्लानर, मुस्लिम एडवोकेट और मुस्लिम विद्वान शामिल होते हैं। प्रॉपर्टीज का लेखा-जोखा रखने के लिए बोर्ड का एक सर्वे कमिश्नर भी होता है। सभी मेंबर्स का कार्यकाल 5 साल का होता है। राज्य सरकार डिप्टी सेक्रेटरी रैंक के IAS ऑफिसर को बोर्ड का CEO बनाती है। ये बोर्ड के फैसलों को लागू करता है।
वक्फ से जुड़े मामलों के लिए जो कोर्ट बना है, उसे वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल कहते हैं।
वक्फ एक्ट में अब क्या बदलाव किए जा रहे हैं?
वक्फ संशोधन बिल में 14 बदलाव प्रस्तावित हैं।
वक्फ एक्ट में संशोधन करने के पीछे क्या तर्क हैं?
जवाब: 2022 से अब तक देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में वक्फ एक्ट से जुड़ी करीब 120 याचिकाएं दायर कर मौजूदा कानून में कई खामियां बताई गईं। इनमें से करीब 15 याचिकाएं मुस्लिमों की तरफ से हैं।
याचिकाकर्ताओं का सबसे बड़ा तर्क यह था कि एक्ट के सेक्शन 40 के मुताबिक, वक्फ किसी भी प्रॉपर्टी को अपनी प्रॉपर्टी घोषित कर सकता है। इसके खिलाफ कोई शिकायत भी वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल में ही की जा सकती है और इस पर अंतिम फैसला ट्रिब्यूनल का ही होता है।
आम लोगों के लिए वक्फ जैसी ताकतवर संस्था के फैसले के कोर्ट में चैलेंज करना आसान नहीं है।
याचिकाओं में 5 बड़ी मांगें की भारत में मुस्लिम, जैन, सिख जैसे सभी अल्पसंख्यकों के धर्मार्थ ट्रस्टों और ट्रस्टियों के लिए एक कानून होना चाहिए।
धार्मिक आधार पर कोई ट्रिब्यूनल नहीं होना चाहिए। वक्फ संपत्तियों पर फैसला सिविल कानून से हो, न कि वक्फ ट्रिब्यूनल से।
अवैध तरीके से वक्फ की जमीन बेचने वाले वक्फ बोर्ड के मेंबर्स को सजा हो।
सरकार को मस्जिदों से कोई कमाई नहीं होती, जबकि सरकार वक्फ के अधिकारियों को वेतन देती है।
इसलिए वक्फ के आर्थिक मामलों पर नियंत्रण लाया जाए।
मुस्लिम समाज के अलग-अलग सेक्शन यानी शिया, बोहरा मुस्लिम और मुस्लिम महिलाओं को भी शामिल किया जाए।
मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग वक्फ कानून में हो रहे संशोधन से नाखुश क्यों है?
जवाब: मुस्लिमों के एक वर्ग में वक्फ एक्ट में नए बदलावों को लेकर 6 प्रमुख चिंताएं हैं।
वक्फ की प्रॉपर्टी कानूनी विवादों में फंसेगी: बिल में कहा गया है, ‘अगर कोई प्रॉपर्टी कानून में बताए तरीके से रजिस्टर नहीं है तो वक्फ अमेंडमेंट एक्ट के लागू होने के 6 महीने बाद वक्फ ऐसी किसी भी प्रॉपर्टी को लेकर कोर्ट में सुनवाई के लिए नहीं जा सकता।’ हैदराबाद की NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के पूर्व वाइस चांसलर और कानून के जानकार फैजान मुस्तफा के मुताबिक, ‘कई वक्फ 500-600 साल पुराने हैं। ऐसे में उनके पक्के दस्तावेज नहीं हो सकते हैं।
मुस्लिमों को डर है कि उनके कब्रिस्तान, मस्जिद और स्कूल अब कानूनी विवादों में फंस जाएंगे।’
वक्फ की प्रॉपर्टी पर कब्जे को बढ़ावा मिलेगा।
नए बदलावों में एक्ट की धारा 107 को हटाने और वक्फ की प्रॉपर्टीज को 1963 के लिमिटेशन एक्ट के दायरे में लाने का प्रावधान है।
रिटायर्ड सरकारी ऑफिसर अकरमुल जब्बार खान के मुताबिक, ‘अगर किसी ने 12 साल या उससे ज्यादा समय से वक्फ की किसी प्रॉपर्टी पर कब्जा कर रखा है, तो लिमिटेशन एक्ट के चलते वक्फ बोर्ड इसके खिलाफ कानूनी मदद नहीं ले पाएगा।’
वक्फ की प्रॉपर्टी पर सरकार का कंट्रोल हो जाएगा: मुस्लिम पक्ष का कहना है कि नए बदलावों से सरकार का वक्फ कंट्रोल बढ़ेगा।
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जफरुल-इस्लाम ने कहा, ‘इन बदलावों से कलेक्टर राज शुरू हो जाएगा, वो अपनी मर्जी से तय करेंगे कि कौन सी प्रॉपर्टी वक्फ की है या नहीं है।’
गैर-मुस्लिमों को वक्फ में शामिल किया जाएगा: जफरुल-इस्लाम गैर-मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में शामिल किए जाने के प्रावधान पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, ‘बिल में कहा गया है कि कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहे मुसलमान ही वक्फ में प्रॉपर्टी दान कर सकते हैं, जबकि वक्फ बोर्ड में to गैर-मुसलमानों को भी शामिल किया जा रहा है।’
वक्फ प्रॉपर्टी के लिए वक्फनामा इस्लामी परंपरा के खिलाफ: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बिल में ‘Waqf By User’ को हटाने का प्रावधान विवादित है। दरअसल, इस्लामी परंपरा में कोई व्यक्ति मौखिक रूप से ही बिना वक्फनामे के अपनी प्रॉपर्टी वक्फ को दे सकता है।
मस्जिदों के मामले में ये आम है। जबकि बिल में लिखा है। कि बिना वक्फ डीड के कोई भी प्रॉपर्टी वक्फ नहीं बनाई जा सकती।
वक्फ ट्रिब्यूनल के अधिकार खत्म होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के वकील फुजैल अय्यूबी के मुताबिक, नए बिल में वक्फ ट्रिब्यूनल्स को वक्फ मामलों में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार खत्म कर दिया गया है। इसे ऐसे देखा जा सकता है।
कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी NGT को पर्यावरण से जुड़े मामलों में और इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल यानी ITAT को टैक्स से जुड़े मामलों में आखिरी फैसला न करने मिले।
केंद्र सरकार और BJP के लिए इस बिल के राजनीतिक मायने क्या हैं।
जवाब शिकवा-ए-हिंद द पॉलिटिकल फ्यूचर ऑफ इंडियन मुस्लिम्स’ के लेखक प्रोफेसर मुजीबुर रहमान के मुताबिक, वक्फ बिल में किए जा रहे।
बदलावों से बहुसंख्यक राजनीति को बढ़ावा मिल सकता है। ये न सिर्फ मुस्लिमों की प्रॉपर्टी पर सरकार का कंट्रोल बढ़ाने की कोशिश है, बल्कि मुस्लिमों को हिंदुओं द्वारा कंट्रोल करने की कोशिश है।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई बताते हैं, ‘सरकार के हर कदम के दो मकसद होते हैं। कानूनी और राजनीतिक इस बिल के जरिए BJP कहीं-न-कहीं नरेटिव बनाने की कोशिश कर रही है जो उसका कोर वोट मजबूत करेगा, लेकिन ये कितना कारगर होगा, अभी कहना मुश्किल है।
नए बिल को लेकर लगे रहे आरोपों पर सरकार का क्या कहना है?
जवाब: केंद्र सरकार का कहना है कि2006 की जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर ही एक्ट में बदलाव किए जा रहे हैं। कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था, ‘वक्फ की प्रॉपर्टीज के मुकाबले उनसे होने वाली कमाई बेहद कम है। जमीनों से 12,000 करोड़ रुपए की सालाना कमाई हो सकती थी, लेकिन अभी सिर्फ 200 करोड़ रुपए की कमाई होती है।
8 अगस्त को लोकसभा में बिल पेश करते हुए संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था।
इस बिल का मकसद धार्मिक संस्थाओं के कामकाज में हस्तक्षेप करना नहीं है।
बिल मुस्लिम महिलाओं और पिछड़े मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में हिस्सेदारी देने के लिए लाया गया है। इसमें वक्फ प्रॉपर्टीज के विवाद 6 महीने के भीतर निपटाने का प्रावधान है। इनसे वक्फ में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों का हल निकलेगा।
31 मार्च को रिजिजू ने कहा, ‘निर्दोष मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है। कि सरकार उनके कब्रिस्तान और मस्जिद छीन लेगी, ये सिर्फ एक प्रोपेगैंडा है।
वक्फ को रेगुलेट करने के कानून आजादी के पहले से मौजूद हैं।
सवाल-10: क्या बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हो जाएगा।
जवाब: वक्फ बिल को पास कराने के लिए सरकार को लोकसभा और राज्यसभा में सामान्य बहुमत की जरूरत है। यानी लोकसभा के 543 में से 272 और राज्यसभा के 245 में से 119 सांसदों का समर्थन जरूरी है।
आज लोकसभा में बहस के दौरान मौजूद रहने के लिए बीजेपी, कांग्रेस, JDU, TDP जैसी पार्टियों ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था।
एक तरफ वक्फ बिल विवाद, दूसरी तरफ ‘सौगात-ए-मोदी’ किट BJP की दोहरी रणनीति के पीछे की कहानी।
हिंदुत्व के नाम पर चुनाव जीतने वाली BJP ईद के मौके पर लाखों मुसलमानों को सौगात-ए-मोदी किट दे रही है। इस किट में कपड़े, दाल, चावल, सेवइयां, सरसों का तेल, चीनी और खजूर शामिल हैं।
BJP फिलहाल वक्फ संशोधन बिल की वजह से मुस्लिम संगठनों की नाराजगी का सामना कर रही है।

You Might Also Like

अफ्रीकी देश माली में अल कायदा ने तीन भारतीयों को किया अगवा, भारत की चेतावनी- तुरंत छोड़ो

फ्लाइट टिकट का रिफंड पाने के लिए ‘मौत का नाटक’, यूट्यूबर की अनोखी तरकीब; हैरत में पड़ गई एअरलाइन कंपनी

Fawad Khan से लेकर मावरा होकेन तक, पाकिस्तानी कलाकारों की उम्मीद पर फिर भारत ने फेरा पानी

हरियाली महोत्सव के तहत पुलिस कमिश्नरेट इंदौर द्वारा किया गया वृक्षारोपण का आयोजन।

Crime Watch Helpline 7049108283

TAGGED: #cm mohan yadav #pmo #jan sampark

Sign Up For Daily Newsletter

Be keep up! Get the latest breaking news delivered straight to your inbox.
[mc4wp_form]
By signing up, you agree to our Terms of Use and acknowledge the data practices in our Privacy Policy. You may unsubscribe at any time.
Nalin Dixit अप्रैल 3, 2025 अप्रैल 2, 2025
Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Copy Link Print
Share
Previous Article एक रोड की और हुई राह आसान
Next Article समर्थन मूल्य पर गेहूं विक्रय के लिए जिले में 35 हजार से अधिक किसानों ने कराया पंजीयन
Leave a comment Leave a comment

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Stay Connected

100 Followers Like
100 Followers Follow
100 Followers Follow
400 Subscribers Subscribe

Latest News

अफ्रीकी देश माली में अल कायदा ने तीन भारतीयों को किया अगवा, भारत की चेतावनी- तुरंत छोड़ो
hindi samachar indore जुलाई 7, 2025
फ्लाइट टिकट का रिफंड पाने के लिए ‘मौत का नाटक’, यूट्यूबर की अनोखी तरकीब; हैरत में पड़ गई एअरलाइन कंपनी
hindi samachar indore जुलाई 7, 2025
महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश के लिए तिथि में की गई वृद्धि
education जुलाई 7, 2025
मध्यप्रदेश की गतिशीलता-शांति और संसाधनों का लाभ उठाएँ निवेशक : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
Madhya Pradesh CM MSME जुलाई 7, 2025

About Us

We influence 20 million users and is the number one business and technology news network on the planet

.

News categoris

  • हिंदी समाचार
  • इंदौर
  • राज्य
  • राजनीति
  • देश

More

  • Terms and Condition
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact

Social Media

Facebook X-twitter Youtube
Join Whatsapp Group
© Copyright 2023 DNDNEWS24 - Dev.by mmp it solutions
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?