रिपोर्ट नलिन दीक्षित
शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार गुट के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों ही दलों ने अपनी लड़ाई AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ लड़ी थी।
- दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली हार की चर्चा हर तरफ हो रही है।
- AAP की हार को महाराष्ट्र की राजनीति में एक झटके की तरह ही देखा जा रहा है। पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र के क्षेत्रीय दलों और AAP के बीच नजदीकियां बढ़ी थीं. ये नजदीकियां इंडिया गठबंधन बनने के बाद और बढ़ गईं।
- महाराष्ट्र में आने वाले समय में स्थानीय चुनाव होने वाले हैं। ये चुनाव उद्धव ठाकरे के लिए करो या मरो काहै
AAP की इस हार ने महाराष्ट्र में उद्धव और शरद पवार को परेशानकर दिया है
महाराष्ट्र में भले ही AAP का कोई बड़ा वोट न बैंक हो, लेकिन उद्धव ठाकरे और शरद पवार केजरीवाल को एक मजबूत नेता मानते थे. जो हमेशा बीजेपी और उनके नेताओं को खुलकर चैलेंज किया करते थे
साल 2011-12 में हुए ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन में मुख्य भूमिका पुणे जिले के रालेगण सिद्धि के अन्ना हजारे की थी. इसी आंदोलन के बाद से ही अरविंद केजरीवाल चर्चा में आए थे।
हालांकि केजरीवाल और हजारे के रास्ते समय के साथ अलग-अलग हो गए. आज अन्ना हजारे केजरीवाल के खिलाफ बोलने में कोई झिझक नहीं रखते हैं।
इसका साफ उदाहरण दिल्ली चुनाव से पहले हजारे की तरफ से जारी किया गया एक वीडियो है. अन्ना हजारे ने वीडियो में दिल्ली की जनता से आम आदमी पार्टी को वोट न देने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि एक नेता को हमेशा निस्वार्थ और ईमानदार होना चाहिए. यदि आप लोगों का समर्थन प्राप्त करना चाहते हैं तो ये आवश्यक गुण हैं।
आम आदमी पार्टी और महाराष्ट्र के राजनीतिक दलों के बीच की नजदीकी कई बार सामने आई. ऐसे ही जब केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली में अफसरों की नियुक्ति उनके ट्रांसफर पर अपना कंट्रोल बनाने के लिए एक कानून लाया था. उस समय केजरीवाल ने उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मिलकर समर्थन मांगा था. इसके साथ ही उन्होंने तमाम राजनीतिक दलों से एक साथ आने की अपील की थी।
महाराष्ट्र में जब सत्ता परिवर्तन हुआ था. जिसे ‘ऑपरेशन लोटस’ के जरिए अंजाम दिया गया था. इसके जरिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तोड़ दिया गया. उस समय भी केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमला करने वालों में केजरीवाल पहले नंबर पर थे।
अरविंद केजरीवाल जब जेल गए थे. उस समय उनके समर्थन में उद्धव की पार्टी ने प्रदर्शन किया था. यही कारण है कि दिल्ली में AAP के हारने से सभी का नुकसान हुआ है. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय इसका असर इन दोनों नेताओं को देखने को मिल सकता है.
दिल्ली विधानसभा के नतीजों ने शिवसेना (UBT) और एनसीपी (SP) को परेशान कर दिया है. इस हार के बाद एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं कि अब आखिर बीजेपी के खिलाफ लड़ाई कैसे लड़ी जाएगी. इसके साथ अब देखना होगा कि दिल्ली में आमने-सामने की लड़ाई लड़ने वाली कांग्रेस और आप आने वाले समय में एक बार फिर साथ आएगी? अगर नहीं तो बीजेपी का मुकाबला कैसे किया जाएगा।