भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित भारत के लिए तीन बार प्रधानमंत्री चुने जाने वाले की श्री अटल बिहारी वाजपेई जी का कार्यकाल कुछ इस प्रकार रह हैं।अटल बिहारी वाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन अलग-अलग कार्यकालों में भारत का नेतृत्व किया:
16 मई 1996 से 1 जुलाई 1996
19 मार्च 1998 से 22 मई 2004
22 मई 2004 से 22 मई 2004 (अगस्त 2004 तक केंद्रीय संसद में बहुमत प्राप्त नहीं होने के कारण छोड़ दिया था)
वे एक प्रमुख राजनीतिक नेता और कवि भी थे, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राष्ट्र के विकास और समृद्धि के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। विश्व की नजर छुप कर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1998 में पोखरण में एक सीरीज़ में परमाणु परीक्षण किए थे, जो कि भारत के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थीं। अटल जी ने प्रमुख कविताओं की रचनाएं भी की है जेसे के
*ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।
मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।
मौत से ठन गई।
अटल जी के यह कुछ सख्त निर्णय भी थे
कारगिल युद्ध (1999): अटल जी ने कारगिल युद्ध में निर्णयपूर्ण रोल निभाया और आत्मनिर्भरता और साहस का संदेश दिया।
सर्वश्रेष्ठ संरक्षक योजन उन्होंने गरीबों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा स्कीम “सर्वश्रेष्ठ संरक्षक योजना” की शुरुआत की।
सुर श्री संकल्प : उनके प्रधानमंत्री पद काल में पोखरण में अद्वितीय शक्ति साधने के लिए निर्णय को “सुर श्री संकल्प” कहा गया।
आत्मनिर्भर भारत: वह भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाए और उन्होंने आर्थिक सुधारों की दिशा में कार्रवाई की।