1.सामर्थ्यवान होना अच्छी बात है पर सामर्थ्य के साथ-साथ शीलवान होना उससे बड़ी बात है। दुनिया सामर्थ्य की वजह से किसी को ज्यादा दिन याद नहीं रखती पर अपने सद्गुणों और अपनी शीलता से व्यक्ति समाज में अमरत्व को प्राप्त कर जाता है।
2.वो बल किसी काम का नहीं जो स्वयं को छोड़कर सबको झुकाने की सामर्थ्य रखता हो। बलशाली होने का अर्थ यह नहीं कि आप दूसरों को कितना झुका सकते हैं अपितु यह है, कि आप स्वयं कितना झुक सकते हैं। समर्थता के साथ विनम्रता का आ जाना ही जीवन को महान बनाता है।
- सामर्थ्य आते ही व्यक्ति के अन्दर स्वयं के सम्मान का भाव भी जागृत हो जाता है। सम्मान पाने वाले नहीं देने वाले बनो। बल का उपयोग स्वयं सम्मान प्राप्त करने के लिए नहीं, दूसरों के सम्मान की रक्षा के लिए करो। भगवान श्री कृष्ण बलवान होने के साथ-साथ पूरे जीवन शीलवान बने रहे|