इंदौर, 20 अप्रैल 2025
यू-ट्यूब पर प्रसारित एक वीडियो में आलीराजपुर ज़िले के जनजातीय संस्कृति और जीवन पद्धति और शासन की आम जनता तक पहुँच का ग़लत चित्रण करने पर जिला प्रशासन ने वीडियो में उल्लेखित विभिन्न तथ्यों को असत्य बताया है। कलेक्टर आलीराजपुर डॉ. अभय अरविंद बेड़ेकर ने बताया है कि यू-ट्यूब पर एक वीडियो प्रसारित किया गया है
जिसमें पेरियोत्तर फलिया ग्राम ककराना में शासन की विभिन्न योजनाओं एवं मूलभूत सुविधाएं ग्रामीणों तक नहीं पहुंचने के बारे में बताया गया है, जो कि असत्य है। क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों ने भी प्रसारित वीडियो में जनजातीय संस्कृति और जीवन पद्धति का ग़लत चित्रण करने पर असंतोष व्यक्त किया।
वीडियो में बताया गया है कि जनजातीय समाज के लोग पहाड़ियों में अभावों के बीच में दूर दूर रह रहे हैं। जबकि झाबुआ आलीराजपुर बड़वानी आदि ज़िलों में जनजातीय समाज का फालियों में रहना एक सामान्य परंपरा है।
कलेक्टर डॉ. बेड़ेकर ने वीडियो में गलत चित्रण करने पर वस्तुस्थिति स्पष्ट करते हुए बताया है कि ग्राम ककराना की कुल जनसंख्या 1596 एवं ग्राम में कुल 300 परिवार निवासरत हैं। ग्राम में 11 वार्ड हैं एवं कुल मतदाताओं की संख्या 992 है। ग्राम में कुल 230 प्रधानमंत्री आवास है, लगभग 426 संबल योजना अन्तर्गत पात्र हितग्राही पंजीकृत है। ग्राम में शासकीय उचित मूल्य की दुकान हैं, जिससे 280 परिवार राशन प्राप्त कर रहे हैं। ग्राम में माध्यमिक शाला एवं 2 प्राथमिक शालाएँ संचालित है। इसके अतिरिक्त ग्राम में 3 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र भी संचालित हो रहे हैं। कुल 247 महिलाओं को मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना अन्तर्गत लाभ दिया जा रहा है। गांव में 1 प्राथमिक उप-स्वास्थ्य केन्द्र संचालित है एवं गांव कुछ इलाके जो नर्मदा नदी के उस पार है, वहां स्वास्थ्य हेतु नर्मदा समय सेवा की नदी एम्बुलेंस संचालित हैं।
ग्राम का पेरियोत्तर फलिया आलीराजपुर मुख्यालय से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। फलिए में 33 परिवार निवासरत होकर कुल आबादी लगभग 230 है। फलिए में एक मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। फलिए में स्वास्थ्य सेवाओं हेतु वर्तमान में नर्मदा समय नदी एम्बुलेंस संचालित है।
ग्राम की निवासी कालीबाई उर्फ गमती पति अनसिंह को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की सरदार सरोवर परियोजना अन्तर्गत गुजरात विस्थापित किया जा चुका है। इनके पति अनसिंह एवं पुत्र सैला को 2-2 हेक्टेयर कृषि भूमि एवं 1-1 आवासीय भू-खण्ड गुजरात में दिया जा चुका है। रंगली बाई को वर्तमान में शासन की इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धा पेंशन के अन्तर्गत सहायता राशि प्राप्त हो रही है।
लाड़ली बहना योजना पंजीयन के दौरान निमड़ी बाई पति नानसिंह गुजरात पलायन होने एवं आधार कार्ड नही होने की वजह से शासन की योजना का लाभ नहीं दिया जा सका। वर्तमान में इनके आधार कार्ड बनने की कार्यवाही प्रचलित है। लाड़ली बहना योजना के रजिस्ट्रेशन होने पर इन्हें योजना का लाभ दिया जा सकेगा। पेरियोत्तर फलिये के अधिकतर परिवारों को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की सरदार सरोवर परियोजना अन्तर्गत गुजरात राज्य में विस्थापित किया जा चुका है, किन्तु कुछ परिवार नर्मदा नदी का जलस्तर कम होने पर पुनः अपनी उसी भूमि पर आकर निवास एवं कृषि करने लगते हैं। अत: वीडियो पर बताये गये तथ्य पूर्णत: असत्य है।