रिपोर्ट नलिन दीक्षित
हथियार की दुनिया में भारत लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है। नेशनल सिक्योरिटी गार्ड यानि NSG ने अखिल भारतीय पुलिस कमांडो प्रतियोगिता में स्नाइपर कैटोगिरी में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्यों के कमांडो विंग को हराकर जीत हासिल की।
अफगानिस्तान और सीरिया युद्ध में अमेरिकी सैनिकों ने अलकायदा और तालिबान के लड़ाकों को मारने के लिए भारी संख्या में स्नाइपर राइफलों का इस्तेमाल किया था।
स्नाइपर राइफल में इतनी ज्यादा ताकत होती है कि इससे निकली बुलेट कंक्रीट तक को फाड़ देती है।
यूक्रेनी सैनिकों ने भी शहरी लड़ाई में रूस के खिलाफ स्नाइपर राइफल का इस्तेमाल किया था।
एनएसजी ने बेंगलुरु स्थित फर्म SSS Defence की तरफ से बनाए गये .338 सेबर स्नाइपर राइफल से फायरिंग की थी। इस प्रतियोगिता में भारत के अलग अलग कमांडो फोर्स के साथ दुनियाभर के शीर्ष स्नाइपर राइफलों के साथ रेस लगाई गई थी। इस दौरान .338 सेबर स्नाइपर राइफल ने ना सिर्फ लक्ष्य को पूरी सटीकता के साथ भेदा, बल्कि स्नाइपिंग के लिए बनाए गये सभी स्टैंडर्ड को भी पूरा कर लिया।
इसके बाद दूसरा स्थान महाराष्ट्र पुलिस के फोर्स वन ने जीता, जिसने अमेरिका के दुर्जेय स्नाइपर राइफल बैरेट 50 कैल का इस्तेमाल किया था। इसे दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राइफल माना जाता है। इसका इस्तेमाल अमेरिका के स्पेशल फोर्स के जवान और इंडियन एयरफोर्स के जवान करते हैं।
भारत ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सीमित संख्या में इसका इस्तेमाल किया है। फोर्स वन ने पिछले साल प्रतियोगिता जीती थी।
सेबर.338 राइफल को पूरी तरह से भारत में ही बनाया गया है। इसका डिजाइन भी भारत में ही किया गया है। इस राइफल से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तक सटीक निशाना लगाया जा सकता है।
इसकी सटीकता 1 मिनट के कोण MoA से कम है (MoA 100 मीटर पर 3 सेमी x 3 सेमी का समूह आकार है)। इस राइफल में 27 इंच की मैच बैरल (भारत में निर्माण), 2 स्टेज ट्रिगर के साथ मोनोलिथिक चेसिस और भारत में ही डिजाइन और बनाए गये सप्रेसर का इस्तेमाल किया गया है।
एनएसजी के पास बैरेट MRAD स्नाइपर भी है, लेकिन उसने SSS डिफेंस के बनाए राइफल के साथ जाने का फैसला किया था। दिलचस्प बात यह है कि एक और देश ने इस राइफल को खरीदा है और उसे ये राइफल इतना ज्यादा पसंद आया, कि उसने फिर से इसे खरीदने का फॉलोअप ऑर्डर दिया है।
इससे पहले भारत लगातार छोटे हथियारों का दूसरे देशों से ही आयात करता आया है, लेकिन ये पहली बार हुआ है कि भारत में बने किसी छोटे हथियार का निर्यात भी किया गया।
वहीं, अमेरिकी बैरेट .50 कैलिबर राइफल एक सेमी-ऑटोमेटिक स्नाइपर राइफल है, जिसका इस्तेमाल अमेरिकी सेना करती है। इसे बैरेट “लाइट फिफ्टी” के नाम से भी जाना जाता है। यह राइफल कंधे से चलाई जाती है और इसमें .50 BMG (12.7×99mm NATO) कारतूस का इस्तेमाल होता है। यह 10 या 20 राउंड वाले बॉक्स मैगजीन से चलता है। यह राइफल बख्तरबंद वाहन, रडार डिश, कम्युनिकेशन लाइन और विमानों को भी उड़ाने की क्षमता रखता है।
स्नाइपर राइफल लंबी दूरी तक निशाना लगाने वाली सटीक राइफल होती है। इसका इस्तेमाल अकसर छिपकर निशाना लगाने के लिए सैनिक करते हैं। वहीं निशानेबाजी प्रतियोगिता में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। खासकर लंबी दूरी से छिपे दुश्मनों को मारने के लिए सबसे ज्यादा स्नाइपर राइफल का इस्तेमाल किया जाता है।
अफगानिस्तान युद्ध में अमेरिकी सैनिकों ने अलकायदा और तालिबान के लड़ाकों को मारने के लिए भारी संख्या में स्नाइपर राइफलों का इस्तेमाल किया था। स्नाइपर राइफल में इतनी ज्यादा ताकत होती है कि इससे निकली बुलेट कंक्रीट तक को फाड़ देती है। दुनिया में सबसे घातक स्नाइपर राइफल की रेंज 1800 मीटर तक है। .338 सेवर राइफल को पूरी तरह से भारत में बनाया गया है।