रिपोर्ट नलिन दीक्षित
पाँच महीने से भी अधिक समय से जारी गिरावट में ताजा गिरावट ने घबराहट का काम किया है। बाजार में इस गिरावट को हाहाकार की तरह माना जा रहा है।
केंद्र की सरकार और अनुषंगी संगठन जिस तरह से दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था की डींगे हांकते नहीं थक रहे उसके सामने सिर्फ फरवरी माह में 40.50 लाख करोड़ रुपये आम निवेशकों की जमा से कम होना और पिछले पाँच माह में 91 लाख करोड़ रुपयों की कुल पूंजी का स्वाहा होना छोटे ही नहीं वरन् बढ़े निवेशकों के भी चूले हिला रहा है। बात सिर्फ़ मंदी की हो तो भी बाजार इसे पचा सकता है लेकिन जिस तरह का दबाव बना है और पसंद का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनने के बाद यह स्थिति बनना भविष्य को लेकर काफ़ी संशय पैदा कर रही है। भारत के साथ ही एशिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश चीन पर भी पूरी ताक़त से अतिरिक्त आयात शुल्क लगाए जाने से हालत अधिक बिगड़े है।
सरकार चाहे इस बारे में जो भी कहे लेकिन 60 लाख SIP खातों का बंद होना और तेजी से सिमटते ऑप्शन ट्रेडिंग कारोबार से यह घबराहट और बढ़ने लगी है।