रिपोर्ट नलिन दीक्षित
ने कहा है:- “मैं आपके दफ्तरों में अपना फोटो नहीं देखना चाहता क्योंकि ना तो मैं भगवान हूं और ना ही कोई आइकॉन (अनुप्रतीक) हूं। मैं इस देश का सेवक हूं।
इसके बजाय दफ्तर में अपने बच्चों की तस्वीर लगाइए और जब भी कोई फैसला करना हो तो उसे तस्वीर को देखिए। और यदि किसी भी प्रकार की चोरी करने का लोभ जागृत हो तो गहराई से अपने परिवार की उस तस्वीर की तरफ देखिए और अपने आप से पूछिए कि क्या यह परिवार एक ऐसे चोर का परिवार कहलाना पसंद करेगा जिसने देश को धोखा दिया है।
बहुत ही प्रोत्साहित करने वाला कथन।