इंदौर के समस्त शैक्षणिक संस्थानों के प्राचार्य/संचालकों की बैठक आज कलेक्टर कार्यालय में सम्पन्न हुई। बैठक में समस्त शैक्षणिक संस्थान संचालकों को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की खण्डपीठ इन्दौर द्वारा रिट याचिका क्रमांक 606/2018, 617/2018, 631/2018, 856/2018, 2472/2018, 3979/2018, 7342/2018 में पारित आदेश 04 दिसम्बर 2024 में स्कूल बसों के संबंध में दिये गये दिशा-निर्देशों की जानकारी दी गई। साथ ही उन्हें इसका पालन करने हेतु निर्देशित किया गया।
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी श्री प्रदीप कुमार शर्मा द्वारा बताया गया कि शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा स्कूल बस के रूप में उपयोग करने वाले/किराये पर लिये गये प्रत्येक वाहन के संचालन के संबंध में न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने के संबंध में बैठक में जानकारी दी गई। बताया गया कि प्रत्येक स्कूल बस को पीले रंग से रंगा होना चाहिये और वाहन के आगे और पीछे जैसा भी मामला हो, “स्कूल बस” या “ऑन स्कूल ड्यूटी” लिखा होना चाहिये। स्कूल के वाहन प्रभारी का नाम, पता और टेलीफोन/मोबाईल नम्बर स्कूल बस के दोनों ओर बाहरी तरफ 09 इंच की बोर्ड पट्टी पर लिखा होना चाहिये। बसों की खिड़कियों पर क्षैतिज ग्रिल लगी होना चाहिये। स्कूल बसों की खिड़कियों पर रंगीन फिल्म और पर्दे का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। मोटरयान के नियम 100 में दिए गए सुरक्षा ग्लास का उपयोग किया जाना चाहिये।
प्रत्येक स्कूल बस में प्राथमिक चिकित्सा किट और अग्निशामक यंत्र होना चाहिये। प्रत्येक स्कूल बस में प्राथमिक उपचार, छात्रों की सुरक्षा और आपात स्थितियों से निपटने में प्रशिक्षित एक परिचारक हो, जो छात्रों को बस में चढ़ने एवं उतरने में सहायता करेंगे। स्कूल बसों का संचालन ऐसे ड्रायवरों द्वारा किया जायेगा जिनके पास स्थायी ड्रायविंग लाइसेंस हो और भारी वाहन चलाने का कम से कम पाँच साल का अनुभव हो। ऐसे ड्रायवरों को नियोजिन नहीं किया जाएगा जिन पर लेन सिस्टम का उल्लंघन करने, सिग्नल लाईट का उल्लंघन करने या अनाधिकृत व्यक्ति को प्रवेश देने जैसे अपराधों के लिए वर्ष में दो बार से अधिक बार चालान (जुर्माना) किया गया हो। ऐसे ड्रायवर को नियोजिन नहीं किया जाएगा जिसका तेज गति से वाहन चलाने, शराब पीकर वाहन चलाने और खतरनाक तरीके से वाहन चलाने के अपराध के लिए एक बार भी चालान किया गया हो। इस आशय का एक शपथ पत्र शिक्षण संस्थान द्वारा वाहन के चालक से प्राप्त किया जाएगा।
छात्रों के अलावा, स्कूल बस को केवल छात्रों के अभिभावकों या शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों को ले जाने की अनुमति है जो सुरक्षा मानदंडों की जाँच करने के लिए यात्रा कर सकते हैं। ऐसी बसों में किसी अन्य व्यक्ति को यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रत्येक स्कूल बस में सीट के नीचे स्कूल बैग रखने के लिए जगह होगी। स्कूल बसें निर्धारित गति सीमा के भीतर चलेंगी। प्रत्येक बस में स्पीड गर्वनर लगा होगा। प्रत्येक स्कूल बस में बाईं ओर एक आपातकालीन द्वार होगा, जो पूरी तरह बंद रहेगा और केवल आपातकालीन स्थिति में ही खोला जाएगा। स्कूल बसों के दरवाजों में रिलायवल लॉकिंग सिस्टम लगा होगा। स्कूल बसों में कोई प्रेशर हॉर्न नहीं लगाया जाएगा। संचालन के दौरान, रात में स्कूल बसों में नीले रंग के बल्ब लगे होगें। स्कूल बसों को नियमित रखरखाव और सफाई की जाएगी। अनुबंधित वाहनों के लिए मोटरयान अधिनियम 1988 (1988 का 59) की धारा 56 के तहत वैध फिटनेस प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। प्रत्येक स्कूल बस के पास वैध बीमा प्रमाण पत्र, प्रदूषण नियंत्र प्रमाण पत्र तथा कर भुगतान प्रमाण पत्र होना चाहिए। कोई भी स्कूल बस 12 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होगी।
विद्यार्थियों को स्कूल लाने-ले जाने में व्यक्तिगत रूप से लगे ऑटो-रिक्शा में चालक सहित चार से अधिक व्यक्ति नहीं बैठ सकेंगे। प्रत्येक सरकारी प्राधानाचार्य और निजी स्कूल प्रबंधन किसी विशिष्ट शिक्षक/कर्मचारी को वाहन प्रभारी के रूप में नियुक्त/नामांकित/अधिकृत करेंगे, जो स्कूल बसों के पंजीकरण, स्थिति, सुरक्षा मापदंडों और मार्ग की निगरानी करेगें और किसी भी उल्लंघन के मामले में वह स्कूल प्रबंधन के साथ जिम्मेवार होंगे। प्रत्येक “स्कूल बस” या “ऑन स्कूल ड्यूटी” में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम और सीसीटीवी कैमरा होगा, ताकि वाहन को मोबाइल ऐप के माध्यम से अभिभावकों द्वारा ट्रेक और देखा जा सके। प्रत्येक स्कूल प्रबंधन एक पुरूष/महिला शिक्षक को नियुक्त करेगा, जैसा भी मामला हो, जो छात्रों के साथ बस में पहले से लेकर अंतिम स्टापेज तक यात्रा करेगा। ड्रायवरों और कंडक्टरों की नियमित चिकित्सा जाँच होना चाहिये और उनकी आपराधिक गतिविधियों की निगरानी भी रखी जाना चाहिये।
इंदौर के समस्त शैक्षणिक संस्थानों के प्राचार्य/संचालकों हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के दिये गये निर्देश
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