रिपोर्ट नलिन दीक्षित
एक नौजवान चीता पहली बार शिकार करने निकला। रास्ते में एक लकड़बग्घा उसे रोकते हुए बोला, अरे छोटू, कहाँ जा रहे हो तुम ?मैं तो आज शिकार करने निकला हू चीता बोला। हा-हा-हा-, लकड़बग्घा हंसा,” अभी तो तुम्हारे खेलने-कूदने के दिन हैं, तुम इतने छोटे हो, तुम्हे शिकार करने का कोई अनुभव भी नहीं है, तुम क्या शिकार करोगे। लकड़बग्घे की बात सुनकर चीता उदास हो गया।
दिन भर शिकार के लिए वो बेमन इधर-उधर घूमता रहा, कुछ एक प्रयास भी किये पर सफलता नहीं मिली और उसे भूखे पेट ही घर लौटना पड़ा। अगली सुबह वो एक बार फिर शिकार के लिए निकला। कुछ दूर जाने पर उसे एक बूढ़े बन्दर ने देखा और पुछा, कहाँ जा रहे हो बेटा ?बंदर मामा, मैं शिकार पर जा रहा हूँ। चीता बोला। बहुत अच्छे बन्दर बोला , तुम्हारी ताकत और गति के कारण तुम एक बेहद कुशल शिकारी बन सकते हो।
जाओ तुम्हे जल्द ही सफलता मिलेगी।
यह सुन चीता उत्साह से भर गया और कुछ ही समय में उसने एक छोटे हिरन का शिकार कर लिया।
मित्रों, हमारी ज़िन्दगी में “शब्द” बहुत मायने रखते हैं। दोनों ही दिन चीता तो वही था, उसमे वही फूर्ति और वही ताकत थी पर जिस दिन उसे डिस्करेज किया गया वो असफल हो गया और जिस दिन एनकरेज किया गया वो सफल हो गया।
शिक्षा
इस कहानी से हम तीन ज़रूरी बातें सीख सकते हैं
पहली, हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपने “शब्दों” से किसी को प्रोत्साहित करें। हतोत्साहित नहीं। , इसका ये मतलब नहीं कि हम उसे उसकी कमियों से अवगत न करायें, या बस झूठ में ही प्रोत्साहित करें।
दूसरी, हम ऐसे लोगों से बचें जो हमेशा निगेटिव सोचते और बोलते हों, और उनका साथ दें जिनका व्यवहार सकारात्मक हो।
तीसरी और सबसे अहम बात, हम खुद से क्या बात करते हैं, Self-Talk में हम कौन से शब्दों का प्रयोग करते हैं इसका सबसे ज्यादा ध्यान रखें, क्योंकि ये “शब्द” ही हमारे विचार बन जाते हैं, और ये विचार ही हमारी ज़िन्दगी की हकीकत बन कर सामने आते हैं, जहाँ तक हो सके पॉजिटिव वर्ड्स का प्रयोग करें