मध्यप्रदेश में खादी आंदोलन मरणासन्न अवस्था में है। नेतृत्वहीनता, भ्रष्टाचार और अफसरशाही के ताने-बाने में उलझी खादी संस्थाएं निरंतर रसातल में जा रही हैं। प्रदेश की खादी संस्थाओं के संघ के बतौर काम करने वाले मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ की स्थिति बदतर हो चुकी है। मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ का उत्पादन, बिक्री और रोजगार निरंतर कम हो गया है। वर्तमान में प्रदेश की शीर्ष खादी संस्था लाखों रुपये के घाटे में चल रही है।
सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम मंत्रालय और खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग के अधीन काम करने वाला मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ में प्रदेश की सभी संस्थाओं का प्रतिनिधत्व होता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ कभी पूरे प्रदेश मंें उत्पादन, बिक्री और रोजगार प्रदान करने में अव्वल था। खादी तथा ग्रामाद्योग आयोग की योजनाओं को क्रियान्वित करने में मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। मध्यप्रदेश में संचालित होने वाले खादी उत्पादन केंद्र या तो बंद हो चुके हैं या बंद होने की कगार पर हैं। खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में 10 देसी चरखे, 36 अंबर चरखे और 28 लूम हैं। कभी मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के पूरे प्रदेश में 1000 से अधिक चरखे चलते थे। आज मात्र 17 चरखे चल रहे हैं। इसी वेबसाइट पर मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के 13 खादी भंडार संचालित होना बताया गया है, जबकि इनमें से अधिकांश बंद हो चुके हैं। सूत्रों से पता चला है कि जो खादी भंडार किराये की दुकानों में संचालित हो रहे थे, उन्हें खादी ग्रामोद्योग आयोग के राज्य कार्यालय की अनुमति के बिना बाले-बाले खाली कर बदले में दुकान मालिकों से मोटी राशि वसूल की गई, जिसे संस्था में जमा नहीं कराया गया। दुकान खाली करने का निर्णय लेने में मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के सदस्यों को भी जानकारी नहीं दी गई। वर्तमान में मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ में मात्र तीन से चार कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। सेवानिवृत्त होने वाले कार्यकर्ताओं को महीनों से न तो वेतन का भुगतान किया गया है और न ही ग्रेच्युटी का लाभ दिया गया है। गंभीर अनियमितताओं और स्वार्थ में लिप्त होने से मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ आज लाखों रुपये के घाटे में है। जिसकी ओर से खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग के अधिकारियों ने आंखें मूंद रखी हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार खादी उत्पादन के काम में आने वाले लाखों रुपये के यंत्र या तो भंगार हो चुके हैं या उन्हें बाले-बाले बेच दिया गया है। उत्पादन केंद्र के समान ही मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के प्रदेश में संचालित होने वाले खादी भंडारों को भी बंद कर दिया गया है। मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के इन्दौर स्थित खादी भवन के एकमात्र कार्यकर्ता ने भी इस्तीफा दे दिया है।
मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के अध्यक्ष प्रदीप जैन बताया कि संस्था संघ के खादी उत्पादन केंद्र, बिक्री भण्डार और चरखे मेरे कार्यकाल में बंद नहीं हुए हैं।
मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के मंत्री जगदीश सिंह से जब मनासा, नीचम, बैतूल, रतलाम, भोपाल सोनागीर, आदि उत्पादन और बिक्री केंद्रो तथा टीवी चरखे और लूम से संबंधित जानकारी चाही तो उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया
रसातल में जाता मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ

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