इंदौर । आर्य समाज द्वारा रविवार को रामनवमी और आर्य समाज के 150 वें स्थापना दिवस के उपलक्ष में शोभायात्रा निकाली गई। महर्षि दयानंद, झाँसी की रानी, चंद्रशेखर आज़ाद आदि देशभक्तों की वेशभूषा में बच्चे घोड़ों और बग्घी पर सवार थे। विशाल ट्रॉले को झांकी का स्वरूप दिया गया था जिस पर आर्ष कन्या गुरुकुल की बालिकाओं द्वारा वेद मंत्रों का पाठ करते हुए यज्ञ किया गया।

ट्रॉले पर वेद मंत्रों और वेद वाक्यों के माध्यम से वेदों की ओर लौटने का संदेश दिया गया। गुरु विरजानंद आश्रम के ब्रह्मचारियों ने भी शोभा यात्रा में हिस्सा लिया। बड़ी संख्या में आर्य जन ने भजनों और नारों से शहरवासियों को रामनवमी की बधाइयां दी। शोभायात्रा छावनी हाट मैदान से प्रारंभ होकर श्रद्धानंद मार्ग से होते हुए मधु मिलन चौराहा, छावनी बाज़ार चौराहा होते हुए पुनः हाट मैदान स्थित आर्य समाज मंदिर में ध्वजारोहण एवं ध्वज गीत के साथ समाप्त हुई।
मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान प्रकाश आर्य द्वारा आशीर्वचन दिए गए। 150 वर्षों पूर्व मुंबई में समाज जनों के आग्रह पर पहले आर्य समाज की स्थापना महर्षि दयानंद सरस्वती ने की थी। आज़ादी के पूर्व आर्यसमाज तेज़ी से सामाजिक उत्थान की संस्था बनकर उभरा। देश के लगभग हर शहर में आर्य समाज की स्थापना हुई मुख्य रूप से उत्तर भारत और मध्य भारत में बड़ी संख्या में आर्यसमाज मंदिर निर्मित हुए जो आज भी कार्यशील है। लाला लाजपत राय, स्वामी श्रद्धानंद, राम प्रसाद बिस्मिल जैसे अनेक महान देशभक्त आर्य समाज के अनुयायी रहे।
आर्यसमाज द्वारा नारी शिक्षा, छुआछूत, पाखंड खंडन, गौसेवा, वेद प्रचार, गुरुकुल शिक्षा, स्वतंत्रता के क्षेत्रों में विशेष योगदान दिया। आर्य समाज द्वारा डी.ए.वी (दयानंद एंग्लो विद्या मंदिर) के नाम से देश भर में हज़ारों स्कूल और कॉलेज खोले गए जो आज भी शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। गुरुकुल कांगड़ी जैसे विश्व प्रसिद्ध गुरुकुलों की स्थापना भी आर्य समाज के अनुयाइयों द्वारा की गई। आज विश्व के लगभग 30 से अधिक देशों में आर्य समाज मंदिर स्थापित है।
इंदौर शहर की मल्हारगंज आर्य समाज, दयानंदगंज आर्य समाज, संयोगितागंज आर्य समाज, भागीरथपुरा आर्य समाज नगर आर्यसमाज, मूसा खेड़ी आर्य समाज, सिंधी कॉलोनी आर्य समाज एवं संचार नगर आर्य समाजों द्वारा सम्मिलित, रूप से कार्यक्रम आयोजित किया गया था।