रिपोर्ट नलिन दीक्षित
अमेरिका के दौरे पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा ऐलान किया है जिससे दोनों देशों के करीबी दोस्त इजरायल की बांछे खिल गई हैं।
भारत-अमेरिका कई प्रमुख क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं।
जिनमें सबसेमहत्वपूर्ण भारत-मध्यपूर्व-यूरोपइकोनॉमिककॉरिडोर (IMEC) है।
आईएमईसी सिर्फ एक व्यापार मार्ग ही नहीं है, बल्कि ये चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को काउंटर करने के लिए बनाईगई एक स्ट्रैटजी है।
- IMEC के रास्ते भारत की टेक्नोलॉजी और केमिकल क्षमताओं में इजाफा होगा।
IMEC के जरिए 4500 किलोमीटर का एक कॉरिडोर बनेगा जो भारत को मध्य पूर्व होते हुए यूरोप से जोड़ेगा. IMEC ग्लोबल सप्लाई चेन को मजबूत और व्यापार मार्गों पर चीन के नियंत्रण के जोखिमों को खत्म करेगा।
वर्तमान में कई महत्वपूर्ण जलमार्ग जैसे मलक्का जलडमरूमध्य, होर्मुज जलडमरूमध्य और बाब अल-मंदाब जैसे समुद्री रास्तों पर चीन काफी तेजी से अपने प्रभाव का विस्तार कर रहा है।
अडानी ग्रुप की ऊर्जी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक के क्षेत्र में बढ़ चढ़कर निवेश करती है।
यह कंपनी इजरायल के बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में रणनीतिक निवेश कर रही है।
अडानी समूह ने हाइफा बंदरगाह में टर्मिनल बनाने के लिए निवेश किया है।
अडानी समूह का हाइफा बंदरगाह में 70 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी है।
जो भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इससे न सिर्फ भारत-इजरायल का संबंध मजबूत होगा, बल्कि भूमध्य सागर में भारत को पैर जमाने का मौका भी देगा।
चीन बड़ी मात्रा में ईरानी तेल खरीदकर यमन के हूती विद्रोहियों का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करता है।
जिससे ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को पैसा मिलता है. इसके बदले IRGC हूतियों को हथियार मुहैया कराता है। ये हथियार कथित तौर पर चीन में बने होते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका और भारत मिलकर इतिहास के सबसे महान व्यापारिक मार्गों में से एक पर मिलकर काम करेंगे।
ट्रंप का इशारा इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की ओर है जो चीन के बेल्ट एंड रोड के जवाब में अमेरिका और भारत मिलकर बनाने जा रहे हैं।
डोनाल्उ ट्रंप यूं ही भारत और इजरायल को जोड़ने वाले कॉरिडोर की तारीफ नहीं कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर अब चीन है और इस कॉरिडोर के जरिए वह खाड़ी देशों में ड्रैगन के बढ़ते प्रभाव को कम करना चाहते हैं।
IMEC कॉरिडोर यूएई और सऊदी अरब के रास्ते होकर जाएगा। अगर यह कॉरिडोर सफल होता है तो इससे इजरायल और सऊदी के बीच रिश्तों में तनाव कम होगा।
पीएम मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि IMEC कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा। IMEC को साल 2023 में दिल्ली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया था। इसको लेकर भारत, अमेरिका, यूएई, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ था। इसके बाद गाजा युद्ध शुरू हो गया और यह पूरा कॉरिडोर ठंडे बस्ते में चला गया।
हालांकि अब गाजा में सीजफायर और ट्रंप के आने के बाद एक बार फिर से इस यह प्रोजेक्ट रफ्तार पकड़ सकता है।
यह कॉरिडोर भारत, यूरोप और खाड़ी देशों को जोड़ देगा। इससे भारत के यूरोप जाने का स्वेज नहर के अलावा एक और रास्ता खुल सकता है।