जनजातीय समुदायों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक उत्थान पर खर्च किए जाएंगे 24,104 करोड़ रुपये
रिपोर्ट रूपेंद्र सिंह चौहान
इंदौर मध्यप्रदेश।।आदिवासी समुदाय के आर्थिक-सामाजिक उत्थान की अपनी कवायद को और धार देते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान (पीएम जनमन) को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। यह महाभियान अनेक मंत्रालयों के 11 अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के सहारे चलेगा।
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि इस योजना पर कुल 24,104 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 15,336 करोड़ की होगी और राज्य अपने स्त्रोतों से 8,768 करोड़ रुपये खर्च करेंगे।
इस योजना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के खूंटी में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर की थी। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के अपने सिद्धांत के आधार पर केंद्र सरकार ने जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए अनेक कदम उठाए हैं और पीएम जनमन योजना इसी की ताजा कड़ी है।
यह योजना 18 राज्यों में आदिवासी समुदायों को करेगी प्रभावित
यह योजना 18 राज्यों में आदिवासी समुदायों के एक बड़े वर्ग को प्रभावित करेगी। इन राज्यों और केंद्र शासित अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के 75 समुदायों को विशेष तौर पर असुरक्षित आदिवासी समूहों (पीवीटीजी) के रूप में चिह्नित किया गया है। ये समूह सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक नजरिये से संकट का सामना कर रहे हैं।
पीएम जनमन योजना के तहत नौ मंत्रालयों की योजनाएं होंगी शामिल
पीएम जनमन योजना के तहत जनजातीय मंत्रालय समेत नौ मंत्रालयों की योजनाएं शामिल होंगी, जिनमें पक्के आवासों का निर्माण, सड़कों का प्रबंध, नल से जल और शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी जरूरी सुविधाएं शामिल हैं। आयुष मंत्रालय इस योजना के तहत मौजूदा मानकों के आधार पर आय़ुष वेलनेस सेंटर स्थापित करेगा, जिनके जरिये मोबाइल मेडिकल यूनिटों की मदद से पीवीटीजी ठिकानों पर आय़ुष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय पीवीटीजी रिहाइशी इलाकों में कौशल और व्यावसायिक शिक्षा के केंद्र शुरू करेगा ताकि आदिवासी लोगों के लिए रोजगार के साधन बढ़ें।