रिपोर्ट नलिन दीक्षित
13 को खुलेंगे टेंडर, कीमत ज्यादा होने की बात पर पीछे हट रहे व्यापारी
इंदौर। शहर की 34 प्रमुख शराब दुकानों को खरीदने के लिए कोई भी शराब ठेकेदार रुचि नहीं दिखा रहा है। इसके कारण कल हुई। नीलामी की तीसरी प्रक्रिया में भी ये दुकानें बिकने से रह गईं। चौंकाने वाली बात यह है कि 34 दुकानों में से एक भी दुकान के लिए एक भी शराब ठेकेदार ने आवेदन तक नहीं किया। इसे देखते हुए अब आबकारी विभाग ने दोबारा टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसे 13 मार्च को खोला जाएगा।
उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा हर वित्तीय वर्ष में शराब दुकानों के नए लाइसेंस जारी किए जाते हैं।
1 अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्तीय वर्ष के लिए शहर की 173 दुकानों को बेचने के लिए फरवरी से प्रक्रिया चल रही है। लेकिन तीन चरणों के बाद भी इनमें से 34 दुकानों को एक भी खरीदार नहीं मिल रहा है।
शासन द्वारा नई शराब नीति में दुकानों की कीमत 20 प्रतिशत बढ़ाई गई है। शराब व्यापारी इन दुकानों की कीमत ज्यादा होने की बात कहते हुए इन्हें खरीदने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
शराब दुकानों का पहले से संचालन करने वाले व्यापारियों को शासन ने पहले नवीनीकरण का अवसर दिया था। इसमें 64 दुकानों के लाइसेंस नवीनीकरण में मौजूदा ठेकेदारों ने आवेदन नहीं किए थे। इस पर इन दुकानों को लॉटरी से नीलाम करने की प्रक्रिया की गई थी।
इसमें भी 30 ही दुकानें नीलाम हो पाईं और 34 दुकानें रह गईं। इन दुकानों को बेचने के लिए आबकारी विभाग ने 4 से 8 मार्च के बीच टेंडर बुलवाए थे।
कल इन्हें खोला गया तो सामने आया कि इन दुकानों को खरीदने के लिए एक भी आवेदन विभाग को नहीं मिला है। इन दुकानों को 13 समूहों में बांटकर शासन ने 304 करोड़ रुपए कीमत तय की है। जिसे शराब व्यापारी काफी ज्यादा बता रहे हैं।
ये नीलामी भी खाली जाने की आशंका
विशेषज्ञों की मानें तो जो दुकानें बिकने से रह गई हैं।
उनमें शहर के प्रमुख क्षेत्रों जैसे राजबाड़ा, पलासिया, अग्रसेन चौराहा, मालवा मिल, महू नाका, एमजी रोड, जीपीओ चौराहा, पलसीकर कॉलोनी, राजेंद्र नगर, जवाहर मार्ग, ट्रांसपोर्ट नगर सहित अन्य दुकानें शामिल हैं।
लेकिन मौजूदा सत्र में इन दुकानों से कीमत के अनुपात में लाभ न होने से व्यापारी इन्हें बढ़ी हुई कीमत पर लेने को तैयार नहीं हैं। जिसके कारण आशंका है, कि इस बार शुरू हुई नीलामी भी खाली ही जाएगी।
पोर्टल पर कम बोली का विकल्प ही नहीं
व्यापारियों ने बताया कि पहले शासन द्वारा दुकान की कम कीमत से कम बोली लगाने का विकल्प भी दिया जाता था।
लेकिन इस बार तय कीमत से कम पर बोली लगाने का विकल्प मौजूद ही नहीं है।
जिसके कारण जो व्यापारी कम कीमत पर दुकान लेने के इच्छुक हैं, वे चाहकर भी आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि अगर आगे भी टेंडर नहीं मिलते हैं।
तो संभवत: कम कीमत पर आवेदन का विकल्प खोला जा सकता है।
कम कीमत पर आने वाले आवेदनों को पहले की ही तरह शासन को भेजा जाएगा और अगर शासन मंजूर करता है तो कम कीमत पर भी दुकानें नीलाम की जाएंगी।