राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत परीक्षण सुविधाओं, बुनियादी ढांचे और संस्थागत सहायता के लिए दिशानिर्देश जारी
दिशानिर्देश हरित हाइड्रोजन (जीएच2) क्षेत्र में निर्दिष्ट मानकों/दिशानिर्देशों के अनुरूप मजबूत गुणवत्ता और परीक्षण इकोसिस्टम पर बल देते हैं
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत मानकों और विनियामक फ्रेमवर्क के विकास के लिए परीक्षण सुविधाओं, बुनियादी ढांचे और संस्थागत सहायता के वित्तपोषण के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा आज (4 जुलाई, 2024) ये योजना दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
ये योजना हरित हाइड्रोजन और इसके व्युत्पन्नों की मूल्य श्रृंखला में घटकों, प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं के लिए मौजूदा परीक्षण सुविधाओं में कमी की पहचान करने में मदद करेगी। ये योजना विश्वसनीय और सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने के लिए नई परीक्षण सुविधाओं को स्थापित करने और मौजूदा परीक्षण सुविधाओं के उन्नयन का समर्थन करेगी।
इस योजना को कार्यान्वित करने में वित्तीय वर्ष 2025-26 तक कुल 200 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई) इस योजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी (एसआईए) होगी।
इस योजना में जीएच2 उत्पादन और व्यापार में गुणवत्ता, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूत गुणवत्ता और प्रदर्शन परीक्षण सुविधाओं का विकास शामिल है।
इस योजना से संबंधित दिशा-निर्देश यहां देखे जा सकते हैं।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का शुभारंभ 4 जनवरी 2023 किया गया था, जिसकी लागत वित्त वर्ष 2029-30 तक 19,744 करोड़ रुपये है। यह स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से भारत के आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य में योगदान देगा और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के लिए प्रेरणा का काम करेगा। यह मिशन अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण डीकार्बोनाइजेशन, जीवाश्म ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करने और भारत को हरित हाइड्रोजन में प्रौद्योगिकी और बाजार की अगुवाई करने में सक्षम बनाएगा ।