मध्य प्रदेश के मठ मंदिर पुजारियों द्वारा हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने की मांग उठी है। मठ मंदिर पुजारी संगठन का आरोप है की सरकार मंदिरों और उनकी संपत्तियों पर नियंत्रण कर पुजारियों व धार्मिक संप्रदायों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है। जिस संदर्भ में संगठन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत मिले मौलिक अधिकार लागू करने की मांग की गई है। पुजारियों का कहना है कि मंदिरों की आय और संपत्तियों का दुरुपयोग हो रहा है। सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का कदम न उठाए जाने पर समूचे राज्य के पुजारियों द्वारा ‘मंदिर मुक्ति अभियान’ चलाने की चेतावनी भी संगठन द्वारा दी गई है।
दायर याचिका में उल्लेखनीय मांग
- धार्मिक समुदाय के पुजारियों को संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत मिले मौलिक अधिकार लागू किए जाएं।
- मंदिरों को उनकी श्रेणी के अनुसार वर्गीकृत करने के लिए हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाए।
- मंदिरों पर अतिक्रमण और अवैध कब्जे हटाए जाए।
- मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए।
- मंदिरों की भू नीलामी पर स्थायी रोक लगी जाए।
2008 में धर्मस्व विभाग द्वारा निर्देशित किया गया था कि राज्य के सभी मंदिरों को 3 श्रेणी (सरकार द्वारा संचालित मंदिर, ट्रस्ट द्वारा संचालित एवं निजी स्वामित्व वाले मंदिर) में बांटा जाए। संगठन द्वारा सरकार पर मंदिरों की जमीन को अवैधानिक कब्जियाने का आरोप लगाया है। 1964 से पूर्व दर्ज मंदिरों की संपत्ति पर सरकार का अधिकार न होने क बावजूद प्रशासन द्वारा इन्हें जबरदस्ती सरकारी संपत्ति घोषित किया जा रहा है।
2021 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था जिला कलेक्टर को मंदिरों के प्रबंधन का अधिकार नहीं है कि बावजूद इसके सरकार मंदिरों की संपत्तियों को नियंत्रित कर रही है।
