अग्रवाल समाज के कुल प्रवर्तक भगवान अग्रसेनजी जन्म से क्षत्रिय थे..
पहले के जमाने मे जब भी हवन होते पशुबली चढाई जाती थी.. अग्रसेनजी के भी अठारहवा यज्ञ चल रहा था ओर निर्दोष पशु की बली चढते देख उनका हर्दय परिवर्तन हुआ ओर अपना जन्म जात क्षत्रिय धर्म छोड कर वेश्य धर्म अपना कर आजीवन वेश्य धर्म का निर्वाह किया.. अग्रसेन जी धर्मों का पालन करते हुए अग्रवाल समाज अहिंसा के मार्ग पर चल रहा है।
महाराजा अग्रसेन जी ने यज्ञों में पशु बलि समाप्त करके नारियल की आहुति देना शुरू किया

Leave a comment
Leave a comment