भोपाल। मध्यप्रदेश की शीर्ष खादी संस्था मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ में भ्रष्टाचार चरम पर है। इस पर हिंदी की कहावत न सूत न कपास, जुलाहे में लट्ठम लट्ठ पूरी तरह चरितार्थ होती है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार
खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग ने मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ को लोगों को रोजगार देने के लिए करोडों रुपये का ऋण दिया है, जिसका उपयोग संस्था के पदाधिकारी अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए कर रहे हैं।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ को खादी उत्पादन के लिए करोडों रुपये का ऋण दिया गया है। इसमें बैंक ऋण की सुविधा भी शामिल है। लेकिन इस राशि का दुरुपयोग करते हुए संस्था को जानबूझकर हानि पहुंचायी जा रही है। खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग द्वारा खादी मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम साॅफ्टवेयर सभी खादी संस्थाओं को उपलब्ध कराया गया है। जिसका लाॅगिन आईडी और पासवर्ड संस्थाओं के पास है। इसमें खादी संस्थाओं को रियल टाइम में खादी उत्पादन, बिक्री और रोजगार की जानकारी दर्ज करना अनिवार्य है। मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ द्वारा करोडों रुपये में मात्र 33 लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के अनेक खादी उत्पादन केंद्र वर्षों से बंद पडे हुए हैं। ऐसी भी सूचना है कि इन उत्पादन केंद्रों के भंगार को बाले-बाले बेच दिया गया है। इसी प्रकार विगत दिनों में मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ द्वारा प्रदेश में संचालित अनेक खादी भण्डारों को बंद कर दिया गया है। अधिकांश खादी भण्डार किराए की दुकान में संचालित हो रहे थे। मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के पदाधिकारियों ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए खादी भण्डार बंद कर दिए। मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ में हो रही धांधली और अनियमितता पर खादी ग्रामोद्योग आयोग ने संज्ञान लेते हुए जांच शुरू की थी, परंतु मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के पदाधिकारियों के रसूख और ऊंची पहुंच के चलते जांच को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया है। मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पदाधिकारियों द्वारा खादी और ग्रामोद्योग की खरीदी पर 25 से 30 प्रतिशत कमीशन लिया जा रहा है।
जब इस संबंध में मध्यप्रदेश खादी संस्था संघ के मंत्री श्री जगदीश सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने जवाब देने से इन्कार कर दिया
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