रिपोर्ट नलिन दीक्षित
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने ‘जॉनसन एंड जॉनसन’ को एक उपभोक्ता को 35 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मामला ऐसे व्यक्ति है, जिसने कंपनी के दोषपूर्ण हिप रिप्लेसमेंट डिवाइस के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना किया।
इस मामले में शिकायतकर्ता पुरुषोत्तम लोहिया ने कहा था कि उन्होंने जॉनसन एंड जॉनसन का एएसआर एक्सएल हिप इम्प्लांट लगाया था। यह डिवाइस अक्सर खराब होता है। 2010 में कंपनी ने इसे बाजार से वापस लेने का फैसला किया था, क्योंकि इससे कई मरीजों को गंभीर चोटें आईं थीं।
लोहिया ने कहा कि उन्हें दोबारा सर्जरी के लिए 25 लाख रुपये मिले थे। लेकिन इसके अलावा उनके बाकी नुकसान के लिए कुछ भी नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि उन्हें चलने में परेशानी होती है और वे अपने काम नहीं कर पा रहे हैं। उनका परिवार भी इस वजह से बहुत तनाव में है।
लोहिया ने अपनी याचिका में कहा था कि जॉनसन एंड जॉनसन लिमिटेड और डिप्यू आर्थोपेडिक्स इंक अमेरिका की कंपनियां हैं। ये कंपनियां दुनियाभर में आर्थोपेडिक (हड्डियों से जुड़ी) उत्पादों की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक हैं।
आयोग ने तीन सितंबर को अपने आदेश में कहा कि एक विशेषज्ञ समिति ने पाया कि एएसआर इम्प्लांट का डिजाइन खराब था। इस डिजाइन के कारण मरीजों को कई समस्याएं हुईं, जैसे कि उनके शरीर में क्रोमियम और कोबाल्ट का स्तर बढ़ गया। आयोग ने कहा कि उन सभी मरीजों को जिन्होंने एएसआर एक्स एल इम्प्लांट लगाया है और जिनकी दोबारा सर्जरी हुई है, उन्हें मुआवजा तो मिलना चाहिए। आयोग ने 35 लाख रुपये इस मुआवजे के लिए सही माना और जॉनसन एंड जॉनसन को कहा कि वह यह राशि लोहिया को दो महीने के भीतर दे।