इन दिनों जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव से पूर्व जयपुर के पत्रकारों को रियायती दर पर भूखंड देने के लिए आगरा रोड पर नायला पत्रकार आवास योजना शुरू की है।
इस योजना में पत्रकारों को जयपुर विकास प्राधिकरण आरक्षित दर का 30 प्रतिशत पर भूखंड दिए जाने हैं। नायला में आरक्षित दर 12 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर है। पत्रकारों को यह भूखंड रियायती दर 30 प्रतिशत यानी 3600 रुपए प्रति वर्गमीटर रखी गई है।
इसके लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 3 अक्टूबर थी। राजस्थान में चुनाव होने हैं इसलिए सरकार ने चुनाव आचार संहिता से पहले ही प्लाट देने की कार्रवाई शुरू कर दी। इसके लिए लाटरी 5 अक्टूबर को निकाली गई। इसके बाद दस्तावेजों की जांच के बाद प्लाट दिए जाएंगे।
अब रियायती दर पर प्लाट मिलने की खबर फैलते ही बड़े अखबारों में कार्यरत भारी भरकम वेतन वाले गैर पत्रकारों को भी लालच आ गया। उन्होंने गैर पत्रकारों का हक मारने का प्लान बना लिया। इसमें एमपी से जुड़े एक बड़े समाचार पत्र इन गैर पत्रकारों को पत्रकार बना कर उनका हक मारने में सबसे आगे है।
इस अखबार के बड़े संपादक ने इन गैर पत्रकारों को बड़ी संख्या में पांच साल से जयपुर में रहने और संस्थान में संपादकीय विभाग में कार्यरत होने के बड़ी संख्या में प्रमाणपत्र जारी कर दिए जबकि इनकी सैलेरी स्लिप की जांच की जाए तो पता चल जाएगा कि यह सभी गैर पत्रकार है और वास्तविक पत्रकारों का हक मारना चाहते हैं।
चूंकि जयपुर की नायला आवास योजना में सीमित संख्या में 768 भूखंड है। दस साल से ज्यादा यह पत्रकार आवास योजना पेंडिग थी और अब इसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क्रियान्वित करना चाहते हैं। गहलोत अपने कार्यकाल में ही पत्रकारों को इस योजना का लाभ देना चाहते हैं। उन्होंने 20 साल पहले भी 2002 में पत्रकार आवास योजना में 500 प्लाट रियायती दर पर दिए थे। इनकी कीमत अब एक करोड़ से अधिक है।
गैर पत्रकार इन भूखंडों को हड़पना चाहते हैं। ऐसे में पत्रकारों में रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि इस बड़े अखबार समूह ने अपने यहां कार्यरत मार्केटिंग, सरकुलेशन, विज्ञापन में काम करने वाले गैर पत्रकारों को भी पत्रकार बना कर उनका हक मार रहे हैं। ऐसे में अब पत्रकार और पत्रकार संगठन जयपुर विकास प्राधिकरण के आयुक्त और वहां के जनसंपर्क अधिकारी व फार्मों की जांच करने वाली कमेटी से मिल कर अनुरोध करेंगे कि सभी फार्मों में सेलेरी स्लिप और पीएफ की जांच की जाए। अगर लॉटरी में गलती से भी इस तरह के आवेदन का नाम आ जाता है तो उसके अपाइनमेंट लैटर की जांच कर ही सफल आवेदकों में शामिल किया जाए