वाल्मीकि, भारतीय साहित्य के एक महान कवि थे जिन्होंने ‘रामायण’ को लिखा था। वे एक महर्षि और वाल्मीकि कवि थे, जिन्होंने अपने जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा वेदिक संस्कृति और साहित्य में समर्पित किया।
वाल्मीकि का जन्म उत्तर प्रदेश के तीर्थस्थल बिजनौर के निकट स्थित अंबालिका ग्राम में हुआ था। उनका असली नाम रत्नाकर था, जिन्होंने बाद में तपस्या करते समय ध्यान में इतना लिप्त हो गए कि उन्हें ‘वाल्मीकि’ नाम दिया गया।
रामायण, उनकी महाकाव्य कृति, उनका प्रमुख और अद्वितीय योगदान है। इसमें भगवान राम की कहानी, उनके वनवास, सीता का हरण और रावण के वध का वर्णन है। यह न केवल एक काव्य है, बल्कि धार्मिक और मानवीय मूल्यों की एक उत्कृष्ट धारणा है।
वाल्मीकि को हिन्दी साहित्य में ‘आदिकवि’ के रूप में माना जाता है। उनकी रचनाएँ संस्कृत भाषा में होने के बावजूद, उनका प्रभाव हिंदी, तेलुगु, तमिल, बंगाली, गुजराती, नेपाली और अन्य भारतीय भाषाओं में भी दिखता है।
उनका साहित्य और उनके द्वारा रचित ‘रामायण’ ने भारतीय संस्कृति और धर्म को एक नए स्तर पर उठाया है। वाल्मीकि के योगदान का महत्त्व आज भी साहित्य, धर्म, और समाज के विभिन्न पहलुओं में महसूस किया जाता है और उन्हें महान कवि के रूप में स्मरण किया जाता है।