रिपोर्ट नलिन दीक्षित
अगर आप अपने सपनों का घर बनाने के लिए जमीन तलाश रहे हैं, तो ज़रा संभल जाइए।
मुनाफाखोर कॉलोनाइजर आपके अरमानों को रौंदने के लिए तैयार बैठे हैं। वो लालच भरे शब्दों से आपको फांसने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं
सस्ती जमीन, सुनहरे सपने, और तेज़ मुनाफे का लालच! लेकिन इस छलावे के पीछे छिपी सच्चाई कुछ और ही है।
कई इलाकों में अवैध कॉलोनियां तेजी से बसाई जा रही हैं, जहां ना तो बुनियादी सुविधाएं हैं
और ना ही सरकार की कोई मंजूरी। लेकिन इन कॉलोनाइजरों को इससे फर्क नहीं पड़ता। उन्हें आपकी मेहनत की कमाई से कोई सरोकार नहीं, बस जेबें भरनी हैं! न तो पानी की पुख्ता व्यवस्था, न सीवेज सिस्टम, और न ही सड़कें—फिर भी ये ‘सपनों का आशियाना’ बेचने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
रिश्वतखोर अफसर और कानून का मज़ाक
सवाल उठता है
ये सब मुमकिन कैसे हो रहा है? इसका जवाब है
रिश्वतखोरी और लचर प्रशासन! कुछ भ्रष्ट अधिकारी चंद रुपयों की खातिर इन माफियाओं को खुली छूट दे देते हैं। सरकारी नियमों को ताक पर रखकर ये कॉलोनाइजर जमीन के टुकड़े बेचकर चंपत हो जाते हैं, और बाद में खरीदार को नर्क भुगतना पड़ता है।
सपनों का घर या जीवनभर की बर्बादी?*
जिन लोगों ने इन अवैध कॉलोनियों में प्लॉट खरीदे, उनके लिए यह सौदा जिंदगी की सबसे बड़ी भूल बन चुका है। कई इलाकों में नगर निगम ने इन्हें गैर-कानूनी घोषित कर दिया, जिससे मकान गिराने तक की नौबत आ गई। अब सोचिए, अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर जो घर बसाया था, वो एक झटके में मलबे में बदल जाए, तो कैसा महसूस होगा?
सावधान रहें, सतर्क रहें!
अगर आप भी घर या प्लॉट खरीदने का विचार कर रहे हैं, तो केवल अप्रूव्ड कॉलोनियों में ही निवेश करें। दस्तावेज़ों को बारीकी से जांचें, नक्शे की मंजूरी देखें और प्रशासन से पूरी जानकारी लें। कहीं ऐसा न हो कि लालच और जल्दबाजी में आपका सपना ही आपका सबसे बड़ा दुःस्वप्न बन जाए।
याद रखें—एक गलत फैसला, जिंदगीभर की परेशानी।