रिपोर्ट नलिन दीक्षित
जो पहले कभी होती थी। बस स्टॉप पर टूटे दरवाजे,साफ सफाई की कमी,टूटा हुआ टिकिट चेकिंग सिस्टम , बसों में साफ सफाई की कमी, बसों की दीवारों पर लगे धब्बे तो इस अनदेखी को साफ तौर पर उजागर करते हैं। आई बस आने के पहले जो गेट बंद रहना चाहिए वे अधिकांश स्थान पर सिस्टम खराब होने के कारण खुले ही रहते हैं। जबकि इसका ठेका एक निजी कंम्पनी को दे रखा है। संदीप सोनी के बाद कोई ऐसा सीईओ नहीं आया जो बारीकी से इन चीजों पर ध्यान दे सके। शहर में सिटी बसों की भी हालत भी कुछ ऐसी ही है जो अब नगर सेवा की फीलिंग देने लगी हैं। जहां चाहो हाथ देकर रोक लो और जहां चाहो उतर उतार लो। लगातार सिटी बस सेवा और आई बस सेवा के स्टैंडर्ड में आ रही कमी के कारण ही अब बड़ी संख्या में लोग अपने वाहनों से ही जाना पसंद करते हैं और सड़कों पर वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है।*