रिपोर्ट नलिन दीक्षित
जिसमें कहा गया था, कि ‘नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना’ बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के अपराध के अंतर्गत नहीं आएगा।
न्यायमूर्ति BR गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है । फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश की ओर से पूरी तरह असंवेदनशीलता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि यह निर्णय लिखने वाले की ओर से संवेदनशीलता की पूर्ण कमी को दर्शाता है।