जीवन में हम जो कुछ भी हम प्राप्त करते हैं सबका कुछ ना कुछ मूल्य अवश्य चुकाना ही पड़ता है। बिना उचित मूल्य अदा किए जीवन में किसी भी वस्तु की प्राप्ति नहीं हो सकती है। जिस प्रकार हम किसी वस्तु को लेने बाजार जाते हैं तो उसका एक उचित मूल्य अदा करने पर ही उसे प्राप्त कर सकते हैं। स्वामी विवेकानन्द जी कहा करते थे कि महान त्याग के बिना महान लक्ष्य को पाना संभव नहीं। यदि आपके जीवन का लक्ष्य महान है तो इस विचार को छोड़ दीजिए कि बिना त्याग और समर्पण के उसे प्राप्त कर लेंगे। नींव जितनी गहरी होगी भवन भी उतना ही ऊँचा एवं टिकाऊ बन पायेगा।
बड़ा लक्ष्य बड़े त्याग के बिना नहीं मिलता। कई प्रहार सहने के बाद पत्थर के भीतर छिपा हुआ ईश्वर का रूप प्रगट होता है। यदि चोटी तक पहुँचना है तो रास्ते के कंकड़ – पत्थरों से होने वाले कष्ट को तो भूलना ही हो|
महान लक्ष्य भगवत चिंतन.पंडित सुदर्सन परसाई

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