“कोड़ियों के दाम में लीज़ पर आवंटित सरकारी जमीन पर बने यशवंत क्लब में ओबीसी,दलित,आदिवासी ,
अल्पसंख्यक की नो एंट्री“
“देश के संविधान के विपरीत यशवंत क्लब का संविधान “

“संविधान अनुसार तीनों वर्गों के लिए क्लब की सदस्यता में आरक्षण अनिवार्य करके लागू किया जाये”
“पीएमओ एंव मुख्यमंत्री को शिकायत के साथ यशवंत क्लब के सदस्यों की सूची सलंग्न की गई”
“ओबीसी आयोग,एससी एसटी आयोग में भी शिकायत दर्ज”
इंदौर । यशवंत क्लब को कोड़ियों के दाम पर शासकीय जमीन की लीज सरकार को दी जाती हैं।
लीज शर्तों में स्पष्ट हैं की इंदौर शहरहित में खेल के विकास के लिए यशवंत क्लब द्वारा सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएगी।
म.प्र.कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव राकेश सिंह यादव ने बताया की भारत के संविधान में प्राप्त अधिकारों के अंतर्गत देश का किसी भी जाति या समाज का नागरिक यशवंत क्लब का सदस्य तयशुदा भुगतान करके बन सकता हैं।
लेकिन यशवंत क्लब में अंग्रेजों के जमाने का कानून लागू हैं।
मात्र साढ़े पॉंच हज़ार कुलीनों ने शहर के बीच में करोड़ों की जमीन का उपयोग मैखाने के रूप में किया जा रहा हैं।
म.प्र.शासन यशवंत क्लब की जमीन को खाली कराकर अन्य स्थान पर यशवंत क्लब को जमीन देता हैं तो इस जमीन का आवासीय एंव व्यवसायिक हाईराइज भवनों के लिए उपयोग करने से सरकार को लगभग 10 हज़ार करोड़ से ज़्यादा की आय संभावित हैं।
उल्लेखनीय हैं की यशवंत क्लब में लगभग मात्र 5 हज़ार 5 सौ सदस्यों में एक भी ओबीसी,दलित,आदिवासी,
अल्पसंख्यक वर्ग का सदस्य ढूंढे से नहीं मिलेगा।
खेल गतिविधियाँ शुन्य हैं।खेल गतिविधियों की आड़ में शराब परोसना ही सिद्ध करता हैं की खेल के नाम पर नशे का कारोबार जमकर किया जा रहा है।
जबकि खिलाड़ी और शराब का एक दूसरे से दूर दूर तक का नाता नहीं होता हैं।महत्वपूर्ण तथ्य यह हैं की शासन की लीज की जमीन का उपयोग जाति और नस्ल के आधार पर सदस्य बनाकर मात्र चंद लोग कर रहें हैं।
यशवंत क्लब में सदस्यता के लिए एक दरवाज़ा हमेशा खुला रहता हैं।
मोटी कमाई का खेल इससे खेला जाता हैं।किसी भी बंद पड़ी कंपनी को ख़रीदकर डायरेक्टर बनकर कंपनी को यशवंत क्लब की सदस्यता 15 लाख एंव जीएसटी शुक्ल के साथ मिल जाती हैं।
यहॉं भी जाति और नस्ल देखकर स्कूटनी और नम्बर देने का खेल होता हैं जिसमें ऊपर के पैसा लेकर सदस्य बना दिया जाता हैं।इस लूट और भ्रष्टाचार की सीमा नहीं हैं चेहरा देखकर तिलक किया जाता हैं।वर्तमान में लगभग 600 से अधिक बंद पड़ी कंपनियों के फ़र्ज़ी डायरेक्टर यशवंत क्लब के मेम्बर बने हुए हैं।
इस बात की जॉंच अगर प्रशासन द्वारा की जाये तो बड़ा आर्थिक घोटाला सामने आएगा।
अतिमहत्वपूर्ण यह हैं की जब देश में संविधान अनुसार,शिक्षा,नौकरी,विधानसभा,लोकसभा में आरक्षण व्यवस्था लागू हैं तब यशवंत क्लब के नियम ओबीसी,एससी,एसटी और अल्पसंख्यकों के विरूद्ध क्यों हैं।
आज तक इन वर्गों के लोगों को क्लब का सदस्य क्यों नहीं बनने दिया गया हैं।अंग्रेजों के क़ानून पर चलने वाले जातिवादी एंव नस्लवाद का ज़हर फैलाने वाले यशवंत क्लब में संविधान अनुसार आरक्षण व्यवस्था को लागू सरकार को करना चाहिए।इस बात की भी जॉंच होना चाहिए की जातिगत आधार पर पिछले दस सालों में कितने लोगों के फॉर्म रिजेक्ट करें गये हैं।
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री एंव पीएमओ से निम्न बिंदुओं के आधार पर जॉंच तथा कार्यवाही की मॉंग की गई हैं।
(1) शासकीय लीज की भूमि पर खेल उपयोग हेतु प्रदत्त भूमि का कमर्शियल उपयोग करने के खिलाफ लीज निरस्त करने की कार्यवाही की जाये या व्यवसायिक दरों से लीज पिछले 20 साल की वसूली जायें।
(2) भारत के संविधान का उल्लंघन करके जातिगत एंव नस्ल भेदभाव के आधार पर ओबीसी,एससी,एसटी,
अल्पसंख्यक को क्लब का सदस्य नहीं बनाने के खिलाफ लीज निरस्तीकरण की कार्यवाही की जाये या संविधान अनुसार शासन के अधीनस्थ करके उपरोक्त जाति के लोगों के लिए आरक्षण व्यवस्था सुनिश्चित की जायें।
(3) यशवंत क्लब में संविधान अनुच्छेद 15 संविधान 1950 का खूला उल्लंघन किया गया हैं।इस आरोप की उच्चस्तरीय जॉंच कराकर ज़िम्मेदारों के खिलाफ एफ़आइआर दर्ज की जायें।
(4) यशवंत क्लब में भारत के संविधान को दरकिनार करके अँग्रेजी हुकुमत के संविधान की शर्तों पर क्लब संचालित करके जाति एंव नस्ल भेद के आधार पर सदस्यता बनाने एंव सदस्यता क़ायम रखने के खिलाफ
भारतीय न्याय संहिता की धारा 153A, 295 और 295A के अनुसार यह एक दंडनीय अपराध के अंतर्गत एफ़आइआर दर्ज की जाये।
(5) शासकीय लीज की भूमि पर खेल उपयोग हेतु प्रदत्त भूमि का कमर्शियल उपयोग करने के खिलाफ लीज निरस्त करने की कार्यवाही की जाये या व्यवसायिक दरों से लीज पिछले 20 साल की वसूली जायें।
(6) यशवंत क्लब में आयोजित पार्टियों में शराब का उपयोग बिना परमिट 11 बजे के बाद भी अवैध रूप से किया जाता हैं।शराब का लायसेंस रूम होने के बाद भी अवैध रूप से 4-A से 4 में परिवर्तित किया गया।इसमें आबकारी अधिकारी की मिलीभगत हैं।इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होना चाहिए।जबकि फर्म एंड सोसाइटी के रजिस्ट्रेशन में बार रेस्टोरेंट का उल्लेख तय शर्तों में नहीं हैं।इस विषय की जॉंच करके सोसायटी भंग करके रिसीवर तत्काल बैठना चाहिए ।
(7) लीज की भूमि पर सदस्यों की राशि से बिना टेंडर बुलाये अवैध निर्माण कार्य कराये जा रहें हैं।जबकि उक्त कार्य नगरनिगम या आईडीए को एजेंसी नियुक्त करके कराना चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महासचिव राकेश सिंह यादव के अनुसार यशवंत क्लब में पिछले 25 सालों से ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी एक भी खिलाड़ी ज़िला स्तर तक नहीं पहुँचा हैं।खेल की आड़ में शराब और जुएँ का बड़ा अड्डा यशवंत क्लब बन गया हैं।कभी इंदौर की शान साबित होने वाला यशवंत क्लब आज दोयम दर्जे के अवैध धंधा करने वालों की शरणस्थली बन गया हैं।शिकायतकर्ता : राकेश सिंह यादव
पूर्व महासचिव
म.प्र.कांग्रेस कमेटी