*दुग्ध उत्पादन के साथ हरे चारे के उत्पादन पर भी विशेष ध्यान देना जरूरी –
डेयरी विकास के माध्यम से पशुपालकों की आय में वृद्धि” विषय पर संभाग स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न
इंदौर,
दुग्ध उत्पादन के कार्य से जुड़े पशुपालकों को सशक्त बनाने के लिए मैदानी स्तर पर विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। अधिक से अधिक पशुपालन दुग्ध उत्पादन के कार्य से जुड़े इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हुए उन्हें आगे लाने के प्रयास करने होंगे। दुग्ध उत्पादन से जुड़े लोगों को समितियों से जोडकर उत्पादित दुग्ध का उन्हें उचित दाम मिले इसके लिए भी विशेष प्रयास करने होंगे।
यह बात इन्दौर संभागायुक्त श्री दीपक सिंह ने डेयरी विकास के माध्यम से पशुपालकों की आय में वृद्धि विषय पर गत दिवस आयोजित संभाग स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला के अवसर पर कही। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सोच को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से संभागायुक्त श्री सिंह की पहल पर महू वेटनरी कॉलेज में इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए संभागायुक्त श्री सिंह ने कहा संभाग के प्रत्येक जिले में पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन से जुड़े किसानों को प्रेरित करते हुए उनकी आय में बढ़ोतरी के लिए विशेष प्रयास किये जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि मैदानी स्तर पर कर्मचारी प्रोड्यूसर और कंज्यूमर के बीच किस प्रकार से सेतु के रूप में काम कर सकते है इसके लिए कार्ययोजना बनाकर प्रभावी कार्य करें। प्रत्येक जिले में इसके लिए विशेष पहल और प्रयास किये जाए। उन्होंने कहा संभाग एवं जिलों में वरिष्ठ स्तर से भी पशुपालकों को किस तरह से लाभ प्रदान करने के साथ दुग्ध उत्पादन और संग्रहण के साथ सांची कॉपरेटिव समितियों से जोड़कर उनकी आमदनी बढाने के लिए विशेष पहल की जाएगी।
*गौवंश को माता का दर्जा*
संभागायुक्त श्री सिंह ने कहा कि भारत में गोवंश को माता का दर्जा दिया गया है। गाय के प्रति हमारा बहुत सम्मान है। दूध उत्पादकता में वृद्धि करते हुए हम गुजरात मॉडल अनुसार हमारे यहां कोऑपरेटिव सोसायटियों को सशक्त बना सकते है। सोसायटियों के माध्यम से साची को ऑपरेटिव से अधिक से अधिक पशुपालकों को जोड़े और वैल्यू एडेड और प्रोसेसिंग को सशक्त करने के लिए विशेष प्रयास किए जाए। इसी उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
*पशुओं के लिये बढ़ाये चारा उत्पादन*
कार्यालय को वेटनरी काउंसिल आफ इंडिया नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. उमेश चंद्र शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि देष के परिदृश्य में मध्य प्रदेश में दूध उत्पादन को लेकर बहुत संभावनाएं है। उन्होंने कहा दूध उत्पादन को बढाने के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा पशुओं की उत्पादकता को बढाने के लिए हरे चारे की उपलब्धता को बढ़ाने पर भी विशेष ध्यान देना होगा। इसके लिए आवष्यक है कि बेहतर किस्म के हरे चारे के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाए। शासन स्तर से भी पशुपालन और विशेष रूप से दूध उत्पादन के कार्य से जुड़े पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे है। यह प्रयास दूध उत्पादन के कार्यों को सशक्त करने के सकारात्मक वातावरण का निर्माण कर रहे है। उन्होंने कहा कार्य षाला में प्राप्त सुझावों को वरिष्ठ स्तर तक पहुंचाया जाकर और बेहतर प्रयासों की पहल की जाएगी। उन्होंने कहा किसानों की पशुपालन के माध्यम से आय में वृद्धि करना मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा दुग्ध उत्पादन से जुडा कार्य बेहतर आजीविका का साधन निर्मित हो सकता है लेकिन पशुपालक को बेहतर तरीके से मार्गदर्शन प्रदान किया जाए। किसान और पशुपालकों के लिए दुग्ध उत्पादन से जोडकर आजीविका का मुख्य साधन निर्मित किया जा सकता है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में आत्मनिर्भर भारत, विकसित भारत बने इसके संदेश को मजबूती प्रदान करने के लिए पशुपालन को सशक्त करने की पहल की जा रही है। पशुओं के बीमारियों से दूर रखने के लिए व्यापक स्तर पर टीकाकरण अभियान आयोजित होता है।
कार्यशाला को वेटनरी कॉलेज के डीन डॉ. बी.पी. शुक्ला ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए संभाग में पशुपालन को सशक्त करने के लिए किये जाने वाले प्रयासों और मैदानी स्तर पर बेहतर तरीकों से किये जाने वाले कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने पशुपालन के माध्यम से बेहतर आजीविका संसाधन विकसित करने और दुग्ध उत्पादन के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त होने के प्रयासों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
*कार्यशाला बनेगी मील का पत्थर*
कार्यालय में कलेक्टर खरगोन श्री कर्मवीर शर्मा ने कहा संभाग स्तर पर इस प्रकार की कार्यशाला पूरे क्षेत्र में एक बेहतर वातावरण बनाने का प्रयास करेंगी। वरिष्ठ स्तर से लेकर जिले स्तर पर एक सी बात और विभिन्न विभागों को एक साथ समन्वित प्रयास करने की रणनीति सकारात्मक प्रयासों को बल प्रदान करेंगी। पशुपालन को आय का प्रमुख संसाधन के रूप में विकसित करने में यह कार्यशाला मील का पत्थर सिद्ध होगी। दुग्ध उत्पादन के साथ-साथ इससे जुड़े उत्पादों को भी आय के साधनों से जोडकर पशुपालकों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने और प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी। कार्यालय को वरिष्ठ पशु विशेषज्ञों ने भी संबोधित किया। कार्यशाला में इंदौर संभाग के समस्त जिलों के पशुपालन, सहकारिता सहित अन्य विभागों के अधिकारीगण उपस्थित हुए। कार्यालय में सभी उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाओं ने अपने-अपने जिले में दुग्ध उत्पादन की वर्तमान स्थिति और संभावनाओं को लेकर विचार विमर्श किया।
दुग्ध उत्पादन से जुड़े पशुपालकों को सशक्त बनाने के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता – संभागायुक्त श्री सिंह

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