उच्च शिक्षा विभाग ने 55 पीएम श्री कालेज आफ़ एक्सीलेंस बनाए हैं और सभी विषयों के शैक्षणिक वर्ग के लिए 1800 पद भी स्वीकृत हैं लेकिन इन नियुक्तियों में यूजीसी के नियमों को दरकिनार किया है। विभाग ने सभी नियमित प्राध्यापकों से 10-29 में जुलाई में आनलाइन के माध्यम से आवेदन भी मंगायें है। इसमें पिछली सी आर के आधार पर 70,60,50, अंक दिए हैं जबकि यूजीसी ने सी आर के लिए कोई अंक निर्धारित नहीं किया है। यूजीसी 2018 के नियमानुसार पीएचडी डिग्रीधारी सहायक प्राध्यापक 4 वर्ष में वरिष्ठता के लिए पात्र होता हैं। जबकि उच्च शिक्षा विभाग ने इन नियुक्तियों में 5 साल का न्यूनतम अनुभव रखा है। जिसके कारण उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दिसंबर 2019 में नियुक्त हुए सभी सहायक प्राध्यापक, खेल अधिकारी और लाइब्रेरियन इस नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर हो गये है। यूजीसी पीएचडी शोध-पत्र और पुस्तक प्रकाशन इत्यादि को महत्व देता है और उच्च शिक्षा विभाग ने इसके लिए केवल 5 अंक और साक्षात्कर के लिए 20 अंक दिए हैं। बहुत से विषय ऐसे हैं जिनमें न्यूनतम 5 वर्ष का अनुभव वाले नियमित प्राध्यापकों का मिलना ही मुश्किल है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पी एम श्री कालेजों में नियुक्ति के लिए जो नियम बनाए गये है उन नियमों से 2019 में नियुक्त हुए सहायक प्राध्यापकों में असंतोष उत्पन्न हो गया है। क्योंकि वे सब इस नियुक्ति प्रक्रिया में बाहर हो जायेंगे।उनका कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग नियमों को शिथिल कर यूजीसी के नियमानुसार ही शोध-पत्र एवं बुक प्रकाशन, साक्षात्कार एवं 4 वर्ष का न्यूनतम अनुभव के आधार पर ही मेरिट सूची बनाकर इन पी एम श्री कालेज आफ़ एक्सीलेंस में नियुक्ति करती है तो उनको भी इसमें अध्यापन कराने का अवसर मिलें।
डॉ प्रकाश खातरकर,
प्रदेश अध्यक्ष
प्रगतिशील सहायक प्राध्यापक संघ
पीएम श्री कॉलेजों में नियुक्ति नियमों से असंतोष
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