रिपोर्ट नलिन दीक्षित
चालू वित्त वर्ष की 1 अप्रैल, 2024 से 16 मार्च, 2025 के दौरान भारत के प्रत्यक्ष कर संग्रह में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 16.2 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई, जो 25.86 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
प्रत्यक्ष करों में कॉर्पोरेट कर, व्यक्तिगत आयकर और प्रतिभूति लेनदेन कर शामिल हैं।
चालू वित्त वर्ष में 16 मार्च तक कॉर्पोरेट कर संग्रह बढ़कर 12.40 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 10.1 लाख करोड़ रुपये था।इसी अवधि के दौरान व्यक्तिगत आयकर संग्रह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 10.91 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 12.90 करोड़ रुपये हो गया।
प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) संग्रह में भी तीव्र वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले वर्ष के 34,131 करोड़ रुपये की तुलना में 53,095 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
वहीं संपत्ति कर सहित अन्य करों में मामूली गिरावट देखी गई, जो 3,656 करोड़ रुपये से घटकर 3,399 करोड़ रुपये रह गया।
रिफंड के लिए लेखांकन के बाद, जिसमें 32.51 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि दर्ज की गई, जो 4.6 लाख करोड़ रुपये हो गई, शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 21.26 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 18.8 लाख करोड़ रुपये के इसी आंकड़े से 13.13 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
कर संग्रह में उछाल एक मजबूत व्यापक आर्थिक वित्तीय स्थिति को दर्शाता है।
जिसमें सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करने के लिए अधिक धन जुटा रही है।
यह राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने में भी मदद करता है।
कम राजकोषीय घाटे का मतलब है कि सरकार को कम उधार लेना पड़ता है, जिससे बड़ी कंपनियों के लिए बैंकिंग प्रणाली में उधार लेने और निवेश करने के लिए अधिक पैसा बचता है।
इससे आर्थिक विकास दर में वृद्धि होती है और अधिक रोजगार सृजन होता है।
इसके अलावा, कम राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति दर को नियंत्रण में रखता है। जिससे अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत होती है। और स्थिरता के साथ विकास सुनिश्चित होता है।
जो टैक्स सीधे आम आदमी से वसूला जाता है उसे डायरेक्ट टैक्स कहते हैं।
डायरेक्ट टैक्स में कॉरपोरेट और पर्सनल इनकम टैक्स आता है। शेयर या दूसरे संपत्तियों पर लगने वाला टैक्स भी डायरेक्ट टैक्स कहलाता है। जो टैक्स सीधे आम जनता से नहीं लिया जाता, लेकिन उसकी वसूली भी आम जनता से ही होती है।
उसे इनडायरेक्ट टैक्स कहा जाता है। इसमें एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी, GST शामिल हैं।
पहले देश में कई प्रकार के इनडायरेक्ट टैक्स होते थे। लेकिन 1 जुलाई 2017 से सभी प्रकार इनडायरेक्ट टैक्स को GST में शामिल कर लिया गया है।
हालांकि, पेट्रोलियम पदार्थों और शराब पर लगने वाले टैक्स को अभी GST के दायरे से बाहर रखा गया है। टैक्स कलेक्शन को किसी भी देश में आर्थिक गतिविधियों को दर्शाने वाला माना जाता है। भारत में इस साल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन अच्छा रहा है।
टैक्स में बढ़त भारत की आर्थिक सेहत के लिए अच्छी खबर है। इससे सरकार के पास ज्यादा पैसा आएगा और उसे कर्ज लेने की कम जरूरत पड़ेगी। इससे यह भी साबित होता है कि दुनिया में मंदी की आशंका के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है।