रिपोर्ट नलिन दीक्षित
उन्होंने 50,000 से अधिक बैठकें कीं हैं, 8 विभाग, 30 जिलों और 173 नगरों में विभाजित होकर जमीन पर ठण्ड में भी पसीना बहाना शुरू किया। दुकानों और स्कूल-कॉलेजों से लेकर दफ्तरों तक में जनसंपर्क अभियान चलाया।
याद रखिएगा – इन्होंने ही राष्ट्र जागरण करके परिवर्तन के बारे में जनता को बताकर बदलाव की बयार तैयार की है।
ये श्रेय भी लेने नहीं आते हैं।ये स्वीकार तक नहीं करते कि हम भाजपा के लिए चुनाव प्रचार करते हैं। ये नेताओं के इर्दगिर्द भी नहीं दिखते। चुनाव के बाद ये पद की अपेक्षा भी नहीं करते, न कोई सरकारी ठेका लेते हैं।
ये निकल जाते हैं – कहीं और, किसी और राज्य में माहौल बनाने या *अपने कोर काम अपनी शाखा को संभालने के लिऐ।
धन्यवाद दीजिए RSS को। और हाँ! ये भी बता दूँ कि RSS से जुड़े सारे अनुषांगिक संगठन (सेवा भारती, BVP, VHP, ABVP, शैक्षिक महासंघ, हिन्दू जागरण मंच इत्यादि) भी लक्ष्य की प्राप्ति में लगे हुए हैं।
भारत माता की जय करने, सनातन और हिन्दुत्व की लहर सुदृढ़ करने में ही इन्हें अपार ख़ुशी मिलती है।