मोहनपुरा-कुंडालिया को ‘सर्वश्रेष्ठ समन्वित जल संसाधन प्रबंधन’ पुरस्कार मिलने पर दी बधाई
इंदौर ,
जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने कहा है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में नवीन सिंचाई योजनाओं के निर्माण और जल संसाधन के समुचित प्रबंधन से सिंचाई रकबे में निरंतर वृद्धि हो रही है। प्रदेश सरकार का संकल्प है हर खेत तक पानी पहुंचाना।
यह प्रसन्नता और गौरव का विषय है कि राजगढ़ जिले की मोहनपुरा-कुंडालिया सिंचाई परियोजना को जल संसाधनों के कुशल उपयोग, जल संरक्षण और कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सीबीआईपी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ इरिगेशन एंड पावर) अवॉर्ड्स 2024 में ‘सर्वश्रेष्ठ समन्वित जल संसाधन प्रबंधन’ (बेस्टइ आईडब्लूिआरएम) पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
इसके लिए विभागीय अमला तथा क्षेत्र के किसान बधाई के पात्र हैं।
पुरस्कार गत दिवस नई दिल्ली में सेंट्रल बोर्ड ऑफ इरीगेशन एंड पॉवर के ज्यूरी सदस्य श्री ए के दिनकर, श्री घनश्याम प्रसाद एवं डा.एम के सिन्हा द्वारा दिया गया है। पुरस्कार मुख्य अभियंता एवं परियोजना निदेशक श्री जीपी सिलावट, अधीक्षण यंत्री एवं परियोजना प्रशासक श्री विकास राजोरिया, परियोजना निदेशक श्री शुभंकर बिस्वास ने प्राप्त किया।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि यह पुरस्कार मध्यप्रदेश की अभिनव जल प्रबंधन प्रणाली और सतत कृषि विकास में योगदान को मान्यता देता है।
यह सम्मान राज्य सरकार की दूरदर्शी जल प्रबंधन नीतियों और कुशल कार्यान्वयन का परिणाम है। पुरस्कारर जल संरक्षण और आधुनिक सिंचाई प्रणालियों के विस्तार को प्रोत्साहित करेगा। मोहनपुरा-कुंडालिया सिंचाई परियोजना की सबसे बड़ी खासियत ‘रिजर्वायर से सीधे खेत तक’ (रिजर्वायर टू फॉर्म) पानी पहुंचाने की नवीनतम तकनीक है। इस तकनीक में पारंपरिक नहरों के बजाय प्रेशराइज्ड पाइप लाइन नेटवर्क का उपयोग किया जाता है,
जिससे पानी बिना किसी रिसाव और वाष्पीकरण के सीधे खेतों तक पहुँचता है। पाइप लाइन आधारित सिंचाई प्रणाली से जलाशय से निकलने वाला पानी बिना खुली नहरों के सीधे किसानों तक पाइपों के माध्यम से पहुँचाया जाता है, जिससे पानी का अपव्यय न के बराबर होती है।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि भूजल स्तर संतुलन, पर्यावरणीय संतुलन, जलभराव, मिट्टी कटाव और जैव विविधता संरक्षण के साथ ही जल प्रबंधन में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
मोहनपुरा-कुंडालिया सिंचाई परियोजना ने मध्यप्रदेश को जल प्रबंधन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बना दिया है। इस पुरस्कार से यह सिद्ध होता है कि नवीनतम तकनीकों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जल संसाधनों का उपयोग किया जाए, तो जल संरक्षण और सतत कृषि विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है। यह परियोजना अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणादायक मॉडल बनेगी और जल संसाधन प्रबंधन में मध्यप्रदेश की भूमिका को और सशक्त बनाएगी।
*वे नवाचार जिनके चलते मिला पुरस्कार*
• ऊर्जा दक्षता :– पानी को खेतों तक पहुँचाने के लिए प्राकृतिक ढलान और पंपिंग सिस्टम का उपयोग किया, इससे कम ऊर्जा खपत के साथ किसानों को सिंचाई में अतिरिक्त लागत नहीं लगती।
• ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई का समावेश: – खेतों में ड्रिप और स्प्रिंकलर तकनीक को बढ़ावा दिया, जिससे किसान कम पानी में अधिक उत्पादन कर सकते हैं।
• जलभराव और मिट्टी कटाव रोकथाम :– पारंपरिक नहरों में होने वाले जलभराव और मिट्टी के कटाव की समस्या इस प्रणाली में समाप्त हो गई, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बना रहता।
• हर मौसम में जल उपलब्धता:– यह प्रणाली रबी और खरीफ दोनों सीजन में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करती है, जिससे किसान अधिक आत्मनिर्भर बनते हैं।
*”आईडब्लूहआरएम सिद्धांतों का सफल क्रियान्वयन*
परियोजना में जल संसाधनों के समुचित और समग्र प्रबंधन का एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। आईडब्लूसआरएम के तहत जल की उपलब्धता, कुशल उपयोग और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित की गई है। पारंपरिक नहरों की जगह प्रेशराइज्ड पाइप लाइनों से जल सप्लाई की। सभी जल उपभोक्ताओं को परियोजना से कृषि, पीने के पानी का समान वितरण किया।
साथ ही उद्योगों के लिए भी जल आरक्षित किया गया। वहीं किसानों को आधुनिक कृषि और जल प्रबंधन तकनीकों की जानकारी दी, ताकि वे जल का बेहतर उपयोग कर अधिक उत्पादकता हासिल कर सकें।