रिपोर्ट नलिन दीक्षित
ये गौरव यात्रा उनकी जुबानी।
पिछले 10 वर्षो में मैंने अनेक बार रक्तदान किया।
अनेकों रक्तदान शिविर आयोजित किए।
लेकिन 10 वर्ष पूर्व आज ही के दिन एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे के लिए किया रक्तदान, जो मेरा पहला रक्तदान भी था, आज भी मेरे लिए प्रेरणा स्रोत है।
23 फरवरी 2015 को उस बच्चे के लिए रक्तदान करके जो आनन्द मुझे प्राप्त हुआ, उसने मेरे जीवन को एक नई दिशा प्रदान की। उस दिन मेरे जीवन के लिए वाहेगुरुजी द्वारा निर्धारित किया गया उद्देश्य सही अर्थों में मुझे ज्ञात हुआ।
आज भी वाहेगुरुजी मेरा हाथ थाम कर मुझे सेवा कार्य करने की प्रेरणा देते हैं। इस कृपा के लिए वाहेगुरुजी का कोटि कोटि धन्यवाद।
यह वाहेगुरुजी की कृपा ही है जो आज रक्तदान के क्षेत्र में मेरे साथ अनेकों सहयोगी काम कर रहे हैं।
।।मैं अकेला ही चला था जानिब – ए – मंज़िल मगर,लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।।