रिपोर्ट नलिन दीक्षित
चंडीगढ़ पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने फिरोजपुर के फत्तूवाला गांव स्थित हवाई पट्टी की कथित रूप से धोखाधड़ी से बिक्री के मामले में कड़ा रुख अपनाया है।
अदालत ने पंजाब सतर्कता ब्यूरो के निदेशक को आदेश दिया है कि वे स्वयं इन आरोपों की सच्चाई का पता लगाएं और जरूरत पड़ने पर उचित कार्रवाई करें. बता दें कि इस हवाई पट्टी का इस्तेमाल भारतीय सेना ने 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान किया था.
यह आदेश निशान सिंह द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान आया. याचिका में सीबीआई या किसी स्वायत्त एजेंसी से जांच की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया है कि फत्तूवाला गांव की जमीन, जिसे भारत सरकार ने 1937-1938 में अधिग्रहित किया था. भारतीय सेना के अधीन थी. इसको 1997 में कथित तौर पर राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी करके बेच दिया गया.
कोर्ट को बताया गया कि इस जमीन के मूल मालिक मदन मोहन लाल की मृत्यु 1991 में हो गई थी. कई सालों बाद 2009-10 के राजस्व रिकॉर्ड में निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज कर दिए गए. इस दौरान भारतीय सेना ने इस जमीन का कब्जा कभी किसी और को नहीं सौंपा. फत्तूवाला स्थित इस जमीन का इस्तेमाल आज भी सेना लैंडिंग ग्राउंड के तौर पर कर रही है.
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की सिंगल बेंच ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर की लापरवाही पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि “राष्ट्रीय रक्षा से जुड़ी जमीन के मामले में फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर द्वारा दिखाई गई ढिलाई चौंकाने वाली और अक्षम्य है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए तैनात सेना को राज्यपाल से अपील करनी पड़ी।
कोर्ट ने इस मामले में पहले 21 दिसंबर 2023 को आदेश दिए थे कि 6 महीने के अंदर जांच पूरी कर ली जाए, लेकिन आदेशों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई तय की गई है.