रिपोर्ट नलिन कुमार
भारत के वैज्ञानिकों ने लॉन्ग रेंज एंटी शिप मिसाइल (LRAShM) का सफल परीक्षण किया है. इसकी स्पीड 12,144 किमी/घंटा और मारक क्षमता 1500 किमी है. इससे नौसेना को मजबूती मिली है।
इस मिसाइल को डीआरडीओ ने बनाया है. इसकी क्षमता देख चीन-पाकिस्तान ही नहीं दुनिया भर के वैज्ञानिक हैरान हैं।
हाइपरसॉनिक मिसाइल उन मिसाइलों को कहते हैं जो ध्वनि की गति से 5 गुना तेज यानी 6200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़कर अपने लक्ष्य पर हमला करती है।
जहां अमेरिका अब तक अपने हाइपरसॉनिक प्रोग्राम को सफलता नहीं दिला पाया, वहीं भारत रूस के साथ मिलकर इस तकनीक में महारथ हासिल कर ली है।
हमने अपने पौराणिक ग्रंथों में कई ऐसी चीजों के बारे में पढ़ी और सुनी है। जिसको लेकर सहज भाव से आज की आधुनिक दुनिया में भी भरोसा नहीं होता. लेकिन, इन ग्रंथों की कई बातें अब सच साबित होती दिख रही है।
दुनिया के वैज्ञानिक ऐसी-ऐसी चीजें बना रहे हैं जिसके बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती
रामायण-महाभारत की ही लेते हैं।उसमें ब्रह्मास्त्र, मायावी राक्षसों, पलक झपकते एक लोक से दूसरे लोक में लोगों के पहुंचे जैसी बातें कही गई है।
ये बातें विज्ञान की कसौटी पर आज भी खरी नहीं उतरती हैं लेकिन, इनसे मिलती जुलती कई घटनाएं अब होने लगी है। वो भी विज्ञान की मदद से
अब आप सोच रहे हैं कि जब भारत के वैज्ञानिकों ने यह कारनामा कर लिया है तो चीन-अमेरिका जैसी मौजूदा दुनिया की महाशक्तियों ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया है।
निश्चिततौर पर उन्होंने भी इस दिया में काम किया है और उनके पास भी ऐसे हथियार हैं।
दरअसल, भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ब्रह्मास्त्र बनाया है जिसकी स्पीड 100, 200, 500, 1000 किमी प्रति घंटे की नहीं बल्कि 12,144 किमी प्रति घंटे की है।
यानी इस स्पीड से आप एक घंटे में नई दिल्ली से अमेरिकी की राजधानी वाशिंगटन पहुंच जाएंगे।
इस ब्रह्मास्त्र का नाम है लॉन्ग रेंज एंटी शिप मिसाइल (LRAShM). यह एक हाइपरसोनिक ग्लाइड हथियार है. इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है।
इसका बीते साल 16 नवंबर को ओडिशा के समुद्र तट पर स्थित डॉक्टर एपीजे अब्दुल कमाल आईलैंड से सफल परीक्षण किया गया।
इसकी मारक क्षमता 1500 किमी है. यानी समंदर में भारतीय तट से 1500 किमी की दूरी पर दुश्मन के जहाज या युद्धपोत दिखने के 7 से 8 मिनट के भीतर यह मिसाइल उसे तबाह कर देगी. इस जमीन और वहां दोनों जगहों से दागा जा सकता है।
शुरुआत में रक्षा विशेषज्ञ बताते थे कि इस LRAShM की अधिकतम स्पीड 6 से 7 मैक की होगी.।मैक ध्वनि की स्पीड को मापने की यूनिट होती है. लेकिन, वास्तविक रूप में अपनी ये मिसाइल आवाज की स्पीड से 10 गुना अधिक तेजी से वार करेगी। एक मैक की स्पीड का मतलब 1,235 किमी प्रति घंटे की रफ्तार है. यानी जब हम कुछ बोलते हैं तो वह किसी दूसरे के पास 1235 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पहुंचती है. लेकिन, अपनी ये मिसाइल इससे 10 गुना रफ्तार से वार करेगी. तो है न यह अचंभित करने वाली बात
जब भारत के वैज्ञानिकों ने यह कारनामा कर लिया है।
तो चीन-अमेरिका जैसी मौजूदा दुनिया की महाशक्तियों ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया है. निश्चिततौर पर उन्होंने भी इस दिया में काम किया है और उनके पास भी ऐसे हथियार हैं।
लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि भारत ने इस LRAShM के जरिए स्क्रैमजेट और ग्लाइड तकनीक का शानदार नमूना पेश किया है।
इस मिसाइल के सफल परीक्षण से भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में एक बड़ी मजबूती मिली है।
इससे इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को आसानी से काउंटर किया जा सकेगा. हाइपरसोनिक स्पीड वाली इस मिसाइल से भारत समंदर में चलहकदमी करने वाले दुश्मन के जहाजों, युद्धपोतों और बेड़ों को मिनटों में तबाह करने की हैसियत रखता है। उदाहरण के लिए अगर कोई युद्ध पोत पाकिस्तान के कराची बंदरगाह के आसपास चहलकदमी कर रहा है और उसकी नीयत भारत को निशाना बनाने की है तो उसे मुंबई तट से मात्र 4 से 5 मिनट में यह मिसाइल तबाह कर सकती है।