रिपोर्ट नलिन दीक्षित
पाकिस्तान में अलगाववादी विद्रोह की आग अब बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा से आगे बढ़कर सिंध प्रांत तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बलूच विद्रोही संगठनों और सिंध में सक्रिय सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी (एसआरए) के बीच गठजोड़ बनने के आसार हैं, जिससे पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और चीन के निवेश पर गंभीर असर पड़ सकता है।
बलूच विद्रोहियों का संगठित हमला
पिछले हफ्ते 11 मार्च को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के लड़ाकों ने 440 यात्रियों से भरी ज़ाफर एक्सप्रेस को अगवा कर लिया था। इससे पहले, बीएलए ने बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) और बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स (बीआरजी) के साथ मिलकर एक नई गठबंधन सेना ‘नेशनल आर्मी ऑफ बलूचिस्तान’ बनाने की घोषणा की थी। अब इस संगठन में सिंध की विद्रोही सेना एसआरए के शामिल होने की भी खबरें हैं। यह पहली बार है जब बलूच और सिंधी विद्रोही एकजुट हो रहे हैं, जिससे न केवल इस्लामाबाद बल्कि बीजिंग में भी बेचैनी बढ़ गई है।
तालिबान से गठजोड़ और बढ़ता हमला
अफगानिस्तान में तालिबान के कुछ गुटों के समर्थन से बलूच विद्रोहियों और खैबर पख्तूनख्वा में सक्रिय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और जैश-उल-फुरसान के बीच समझौता हुआ था। इसके बाद से पाकिस्तानी सेना और अर्धसैनिक बलों पर हमले बढ़ गए हैं। बीते शुक्रवार को खैबर पख्तूनख्वा के दक्षिण वजीरिस्तान में एक मस्जिद में बम धमाका हुआ, जिसका आरोप टीटीपी पर लगाया जा रहा है।
CPEC पर बढ़ता खतरा
बलूच विद्रोही पहले ही चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) और ग्वादर बंदरगाह से चीन को बाहर निकालने की मांग कर चुके हैं। अब सिंध में भी एसआरए ने कराची बंदरगाह पर चीनी प्रभाव का विरोध शुरू कर दिया है। सीपीईसी चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ परियोजना का अहम हिस्सा है, जो शिंजियांग के काशगर से बलूचिस्तान के ग्वादर तक फैला हुआ है। लेकिन बलूच विद्रोहियों का आरोप है कि चीन इस परियोजना की आड़ में उनके प्राकृतिक संसाधनों की लूट कर रहा है।
पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई और बढ़ता असंतोष
ज़ाफर एक्सप्रेस अपहरण के बाद बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तान और चीन को बलूचिस्तान से बाहर जाने की चेतावनी दी थी। उन्होंने बलूच कैदियों की रिहाई की शर्त भी रखी थी, लेकिन पाकिस्तानी सेना की ‘स्पेशल सर्विस ग्रुप’ (एसएसजी) कमांडो यूनिट ने जबरदस्त ऑपरेशन चलाया। इससे स्थिति और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।
अब तक बलूच और पख्तून विद्रोही ही पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लड़ रहे थे, लेकिन अगर सिंधी अलगाववादी भी इस संघर्ष में खुलकर शामिल होते हैं, तो पाकिस्तान के आंतरिक हालात और खराब हो सकते हैं। साथ ही, यह विद्रोह चीन की बहुचर्चित सीपीईसी परियोजना के भविष्य पर भी सवाल खड़ा कर सकता है।