इंदौर । *डॉ अखलेश भार्गव*
प्रत्येक व्यक्ति भिन्न है उसकी आदतें अलग है, एवं मूल प्रकृति भी भिन्न है। अतः इस के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का खान-पान एवं जीवनचर्या अलग होती है , एवं आवश्यकता पड़ने पर इलाज भी अलग-अलग औषधीय द्वारा किया जाता है,इसी विषय को ध्यान में रखते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ नई दिल्ली में आयुर्वेद दिवस के अवसर पर दिनांक 29 अक्टूबर 2024 को देश का प्रकृति परीक्षण अभियान का राष्ट्रव्यापी शुभारंभ किया गया है, यह अभियान संविधान दिवस 26 नवंबर से प्रारंभ होकर 25 दिसंबर 2024 एक माह तक आयुष मंत्रालय के भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग के निरीक्षण में किया जाएगा।
प्रकृति परीक्षण अभियान के आरंभ में प्रथम बार माननीय राष्ट्रपति जी का प्रकृति परीक्षण किया गया
*प्रकृति परीक्षण स्वयंसेवक चलाएंगे अभियान*
अभियान के प्रथम चरण में देश के एक करोड़ से अधिक 18 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों का शासकीय एवं निजी आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं, चिकित्सकों, चिकित्सा अधिकारियों, औषधि निर्माता कम्पनियों, स्नातकोत्तर छात्रों, केंद्र तथा राज्य सरकार के द्वारा नियुक्त अधिकारियों तथा डॉक्टर तथा देश भर के लाइसेंस प्राप्त आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा एप के माध्यम से प्रकृति परीक्षण किया जाएगा ।
इस अभियान को चलाने हेतु आयुर्वेद कॉलेज के लगभग 1,35000 स्नातक छात्र, 20,000 पी जी छात्र, 18 000 महाविद्यालय शिक्षक, तीन लाख से अधिक चिकित्सक इस प्रकार कुल 4,73000 डॉक्टर इस अभियान को संचालित करेंगे। इसके माध्यम से एक माह में एक करोड़ से अधिक नागरिकों का प्रकृति परीक्षण किया जाएगा, एप के माध्यम से प्रकृति परीक्षण स्वयंसेवक नागरिकों का परीक्षण करेंगे
*देश भर के डॉक्टर को दी ट्रेनिंग*
अभियान से पूर्व आयुष मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा देश भर के समस्त आयुर्वेद चिकित्सकों एवं छात्र-छात्राओं को इसकी ऑनलाइन ट्रेनिंग दी गई है, जिसके माध्यम से वह नागरिकों से प्रश्न पूछ कर उनकी प्रकृति निश्चित करेंगे, अभियान के दौरान नागरिकों को अपने मोबाइल पर प्रकृति परीक्षण ऐप डाउनलोड करते ही उनके जीवनचर्या, शरीर एवं मन से संबंधित प्रश्नों के उत्तर भरने के बाद उनकी प्रकृति सुनिश्चित करके एक सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा, जिसमें उनकी प्रकृति का वर्णन होगा। इसी प्रकृति के आधार पर उनको समय-समय पर विभिन्न मौसम में खानपान की सलाह मोबाइल पर दी जावेगी ताकि वह बीमार ना हो।
प्रत्येक व्यक्ति की अपनी विशिष्ट प्रकृति होती है जो गर्भाधान के समय निश्चित हो जाती है, प्रकृति का ज्ञान व्यक्ति के स्वास्थ्य लक्षण एवं चिकित्सा हेतु महत्वपूर्ण है
*अभियान का प्रभाव*
डॉ अखलेश भार्गव ने बताया कि अभियान के माध्यम से आयुर्वेद के प्रचार प्रसार के साथ ही पूरे देश के नागरिकों की प्रकृति मैपिंग करके शोध हेतु बहुत बड़ा रिसर्च सैंपल मिलेगा, जिससे नीति निर्धारण एवं मूलभूत शोध कार्य करने हेतु भी बड़े साइज का डाटा उपलब्ध होगा, यह अपने आप में एक अलग तरीके का डाटा बेस होगा, जिसके आधार पर आई जी आई बी एवं सी सी आर ए एस जैसे महत्वपूर्ण अनुसंधान संस्थानों द्वारा मौलिक शोध कार्य किया जावेगा। इस अभियान के तहत जो जन जागृति होगी उसके फलस्वरूप अर्थव्यवस्था का विकास तेजी से होगा। देश को पांच ट्रिलियन इकोनामी बनाने में माननीय प्रधानमंत्री जी के स्वप्न को साकार करने में यह अभियान प्रभावित होगा
*बनाएंगे विश्व रिकॉर्ड*
इस अभियान के द्वारा पांच अद्वितीय विश्व रिकार्ड बनाने का भी लक्ष्य रखा गया है, जिससे यह अभियान भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के सकारात्मक संदेश एवं स्वस्थ रहने के मूल मंत्र को पूरी दुनिया में पहुंचाने का कार्य करेगा, ताकि आयुर्वेद का प्रयोग वैश्विक स्तर पर बढे एवं पूरा विश्व इसका लाभ ले सके। इन कीर्तिमानों में एक कीर्तिमान फर्स्ट इन लाइन है जो पूरा होने पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने संसाधनों से इन कीर्तिमानों का प्रचार प्रसार विश्व के 180 देश में करेगा, पूरे विश्व में आयुर्वेद के प्रति जन जागृति बढ़ेगी।
अष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय लोकमान्य नगर इंदौर में लगातार मरीजो का एवं नागरिकों का परीक्षण किया जा रहा है