स्वामी विवेकानंद जी कहा करते थे कि असफलता ही तो सफलता का आधार होती है। यदि आपने कभी असफलता का सामना नहीं किया तो इसका एक सीधा सा अर्थ यह भी है कि आपने अपने जीवन में कभी कुछ नया करने का प्रयास भी नहीं किया है।
सफलता ना मिलना चिंतनीय विषय नहीं लेकिन सफलता के लिए यथाशक्ति प्रयास ना किया जाना अवश्य चिंतनीय विषय है। प्रयत्न करते हुए असफल हो जाने की अपेक्षा प्रयत्न ना करते हुए असफल हो जाना अधिक अपमानजनक है।
ये बात बिल्कुल सत्य है कि मनुष्य सफलता से उतना नहीं सीखता जितना असफलता से सीखता है असफलता सदैव एक अनुभवी इन्सान को जन्म देती है। असफलता के मार्ग पर थामा गया धैर्य एवं पुरुषार्थ का दामन सदैव सफलता के ही द्वार खोलता है।
महापुरुषों का मत है, कि क्षमा मांग लेना फिर भी आसान है पर किसी को क्षमा कर देना कदापि आसान काम नहीं। क्षमा सबके बस की बात नहीं तभी तो कहा गया है कि ” क्षमा वीरस्य भूषणं और क्षमा वाणीस्य भूषणं ” क्षमा साहसी लोगों का आभूषण है और क्षमा वाणी का भी आभूषण है।
बलवान वो नहीं जो किसी को दण्ड देने की सामर्थ्य रखता हो अपितु बलवान वो है जो किसी को क्षमा करने की सामर्थ्य रखता हो। यदि आप किसी को क्षमा करने का साहस रखते हैं तो सच मानिये कि आप एक शक्तिशाली सम्पदा के धनी हैं और इसी कारण आप सबके प्रिय भी बन जाते हैं।
आजकल परिवारों में अशांति और क्लेश का एक प्रमुख कारण यह भी है कि हमारे जीवन से और जिह्वा से क्षमा नाम का गुण गायब हो गया है। दूसरों को क्षमा करने की आदत डाल लो जीवन की बहुत समस्याओं से बच जाओगे। जिसके जिह्वा और जीवन में क्षमा है, उसके जीवन में सुख है, शांति है, आनंद है।
असफलता से सफलता प्राप्त करें एवं क्षमावान बने / पंडित सुदर्शन परसाई.
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