(पीआईबी)
भारतीय सेना और सी-डैक ने अत्याधुनिक और भविष्य की रक्षा प्रौद्योगिकियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए साथ आये
क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा, वायरलेस संचार, मानव रहित हवाई प्रणाली (यूएएस) और स्वदेशी नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समझौता।
भारतीय सेना की ओर से मिलिट्री कॉलेज ऑफ़ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई) और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मीईआईटीवाई) के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) ने एमसीटीई, महू में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से एक रणनीतिक साझेदारी को औपचारिक रूप दिया। यह पहल सैन्य अनुप्रयोगों के लिए तैयार की गई अत्याधुनिक तकनीकों में अनुसंधान और विकास में तेजी लाने के लिए बनाई गई है।
यह ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा, वायरलेस संचार, डिजिटल ट्विन, सेन्सरी ऑग्मेन्टेशन और मानव रहित हवाई प्रणाली (यूएएस) सहित उभरते क्षेत्रों में स्वदेशी समाधान विकसित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
समझौता ज्ञापन की मुख्य विशेषताएं:
नवाचार और ज्ञान-साझाकरण के केंद्र के रूप में एमसीटीई में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना।
महत्वपूर्ण सैन्य समस्या परिभाषाओं और परिचालन चुनौतियों को संबोधित करने के लिए सहयोगात्मक अनुसंधान और विकास प्रयास।
पहचाने गए प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में क्षेत्र-तैयार प्रोटोटाइप का विकास और परीक्षण।
कौशल विकास को बढ़ाने के लिए कार्यशालाओं, सेमिनारों और कार्यकारी प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन।
वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोग परीक्षण के लिए सी-डैक की अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास क्षमताओं तथा एमसीटीई की परिचालन विशेषज्ञता का लाभ उठाना।
सीओई रक्षा में आत्मनिर्भरता और नवाचार को बढ़ावा देगा
भारत सरकार के मीईआईटीवाई में अतिरिक्त सचिव श्री भुवनेश कुमार ने इंदौर के महू में एमसीटीई के परिसर में सी-डैक और एमसीटीई द्वारा उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना की सराहना की। उन्होंने बताया कि केंद्र का उद्देश्य सभी व्यावहारिक अनुसंधान का नेतृत्व करना और एमसीटीई, सी-डैक और अन्य मीईआईटीवाई संगठनों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ावा देना है।
एमसीटीई के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल के एच गवास ने इस सहयोग के महत्व पर बल देते हुए कहा की , “सीओई की स्थापना के साथ, एमसीटीई और सी-डैक तकनीकी उत्कृष्टता और विकास की यात्रा पर निकल पड़े हैं। मुझे विश्वास है कि यह साझेदारी भविष्य के सहयोग के लिए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में काम करेगी। यह राष्ट्रीय रक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण प्रगति को आगे बढ़ाएगी।”
सी-डैक के महानिदेशक डॉ. ई. मगेश ने सहयोग के लिए अपना उत्साह व्यक्त किया। उन्होंने कहा की, “यह पहल महत्वपूर्ण रक्षा चुनौतियों के लिए उन्नत कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों को लागू करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करेगी। यह नवाचार के माध्यम से भारत की रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करने के हमारे मिशन को आगे बढ़ाएगी।”
इस सीओई की स्थापना भविष्य की प्रौद्योगिकियों को अपनाने और एकीकृत करने में भारतीय सेना के नेतृत्व का उदाहरण है, जो सैन्य-शैक्षणिक सहयोग के लिए एक नया मानदंड स्थापित करता है।
रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ी छलांग
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