नरवाई जलाने पर होगी कार्रवाई
इंदौर 30 मार्च 2025
इंदौर जिले में किसानों से आग्रह किया गया है कि वे पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से नरवाई नहीं जलाये। नरवाई जलाना पर्यावरण, मानव जीवन और भूमि की उर्वरा शक्ति के लिये हानिकारक है।
जिले में वर्तमान में गेहूं के साथ-साथ अन्य फसलों की कटाई का कार्य किया जा रहा है। कटाई के उपरांत खेतों में शेष अवशेषक (नरवाई) बचता है जिन्हें किसान अनुपयोगी समझकर आग लगाकर नष्ट कर देते है इससे भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है एवं प्रदूषण फैलता है।
उप संचालक कृषि श्री सी.एल.केवड़ा ने बताया कि नरवाई में लगभग नत्रजन 0.5 प्रतिशत, स्फुर 0.6 प्रतिशत और पोटाश 0.6 प्रतिशत पाया जाता है, जो नरवाई में जलकर नष्ट हो जाता है। भूमि में उपलब्धत जैव विविधता समाप्त हो जाती है अर्थात भूमि में उपस्थित लाभ दायक सूक्ष्म जीव एवं केचुआं आदि विभिन्न जीव जलकर नष्ट हो जाते है, जिससे भूमि की भौतिक दशा खराब हो जाती है। भूमि कठोर हो जाती है जिसके कारण भूमि की जलधारण क्षमता कम हो जाती है।
फलस्वरूप फसलें जल्दी सूखती है। भूमि में होने वाली रासायनिक क्रियाएं भी प्रभावित होती है जैसे कार्बन, नाईट्रोजन एवं कार्बन फास्फोरस का अनुपात बिगड जाता है, जिससे पौधो को पोषक तत्व ग्रहण करने में कठिनाई होती है। कई बार नरवाई की आग फैलने से जनधन की हानि होती है एवं पेड़-पौधे जलकर नष्ट हो जाते है।
कृषि विभाग की ओर से ग्राम पंचायतों के सूचना पटलों पर पहले ही सूचना बनाम चेतावनी भी चस्पा की जा चुकी है। पंचायतवार कार्यक्रम बनाकर किसानों को नरवाई न जलाने की समझाइश दी जा रही है। विभागीय मैदानी अमले द्वारा गांव-गांव जाकर चौपाल लगाकर किसानों को समझाइश दी जा रही है कि खेतों की जुताई करे या रोटावेटर चलाकर नरवाई को यथास्थान जमीन में मिला दे।
साथ ही हैप्पी सीडर एवं जीरो टिलेज सीड ड्रिल से बोनी को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन यंत्रो के उपयोग से फसल अवशेष को भूमि में मिलाया जा सकेगा। इससे भूमि उर्वरा शक्ति बढेगी तथा फसल उत्पादन बेहतर प्राप्त होगा तथा लागत में कमी आयेगी।
किसानों को सलाह दी गई है कि नरवाई न जलाये तथा जो किसान फसल अवशेष यानि नरवाई जलाएंगें उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही के साथ अर्थदण्ड की भी कार्यवाही की जा सकती है।