इंदौर । शराब परिवहन की परमिट से अवैध शराब का परिवहन करने के मामले में देपालपुर की एक अदालत ने आबकारी अधिकारियों सहित 13 लोगों को दोषी करार दिया है। दोषियों को सश्रम कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। मामले के अनुसार, अधिकारियों द्वारा एक ही परमिट बुक के नंबर की कई नकली कापियां बना ली गई थी। इससे अवैध शराब का परिवहन करते थे।
दोषियों में रायसेन जिला आबकारी अधिकारी, सहायक आबकारी अधिकारी, उपनिरीक्षक, प्रभारी अधिकारी सहित अन्य शामिल हैं।
प्रकरण के अनुसार 14 दिसंबर 2011 को तत्कालीन बेटमा पुलिस थाना प्रभारी दिलराज सिंह बघेल ने मुखबिर की सूचना पर महू-नीमच रोड पर ट्रक से ले जाई जा रही 1200 पेटी अवैध शराब पकड़ी थी। इसमें ट्रक चालक संतोष व साथी ओमप्रकाश के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया था। मामले में जब्त की गई आयात-निर्यात परमिट फार्म की जांच शासकीय केंद्रीय मुद्रणालय से कराई गई थी।
जांच के आधार पर आबकारी और अधिकारियों व कंपनी कर्मचारी को आरोपित बनाकर अन्य धाराएं भी बढ़ाई गई थी। मामले में अपर सत्र सश्रम न्यायाधीश देपालपुर नीलेश यादव ने फैसला सुनाते हुए जिला आबकारी ओर अधिकारी कैलाश चंद्र बंगाली, मावई आबकारी उपनिरीक्षक रामप्रसाद मिश्रा, आबकारी उप निरीक्षक प्रीति गायकवाड़, दीनानाथ सिंह, शैलेंद्र सिंह, गुरुदर्शन, सुरजीतलाल के अलावा उमाशकर, दिनकर, मोहन सिंह को तीन साल सश्रम कारावास वहीं, और एक हजार रुपये अर्थदंड, मदन सिंह को छह माह सश्रम कारावास की
जांच रिपोर्ट में जब्त परमिट और प्रेस से मुद्रित परमिट के की गुणवत्ता में अंतर पाया गया, ही परमिट पर लिखी गई कंपनी भी जब्त बिल्टी में लिखे पर नहीं मिली। जांच में पता कि कंपनी सोम प्राइवेट लिमिटेड (एसडीबीएल के कर्मचारी और अधिकारियों ने मिलकर धोकाधड़ी की है।
दो आरोपितों की हो चुकी है मृत्यु
अर्थदंड, आबकारी उपनिरीक्षक संतोष कुमार बल एवं आबकारी रतलाम अधिकारी ओमप्रकाश को एक साल कारावास व 25 हजार रुपये मामले अर्थदंड किया है। मामले में शासन की से एडीपीओ शिवनाथ सिंह ने पैरवी की। ज्ञात हो कि मामले में आरोपित बनाए गए शराब कंपनी एसडीपीएल के निदेशक जगदीश अरोरा व भाई अजय अरोरा का नाम उच्च न्यायालय के निर्देश पर प्रकरण से निकाल दिया गया था। आबकारी विभाग के वीरेंद्र भारद्वाज व उप निरीक्षक संजय गोहे मृत्यु हो चुकी है।/
पेपर आबकारी आयुक्त से मिलने वाली एग्रो कागज 10 परमिट बुक की एक ही नंबर साथ की कई नकली प्रतियां तैयार करा ट्रांसपोर्ट ली थीं। अवैध शराब परिवहन के पर पते साथ ही बैंक में कम राशि का थी चला चालान भरकर एक ही चालान का डिस्टलरीज उपयोग कई परमिट में कर रहे थे। ) इससे राजस्व चोरी कर अवैध लाभ आबकारी अर्जित करने की भी बात सामने प्रदेश आई।