रिपोर्ट नलिन दीक्षित
निर्यात में उतार-चढ़ाव: क्या है वजह
इस साल निर्यात में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. शुरुआत में तो निर्यात अच्छा रहा, लेकिन बाद में इसमें गिरावट आई. अक्टूबर 2024 में थोड़ी बढ़ोतरी हुई, लेकिन फिर जनवरी तक हर महीने निर्यात कम होता गया.
क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में कई तरह की परेशानियां हैं, जैसे कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार की ओर से टैक्स बढ़ाने की बात. इससे भारत के निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है. इस साल अब तक हमने दूसरे देशों से ज्यादा सामान मंगाया है और उन्हें कम सामान बेचा है. इससे हमारा व्यापार घाटा बढ़ रहा है। अमेरिका, चीन से आने वाले सामानों पर टैक्स बढ़ा सकता है. साथ ही, चीन की अर्थव्यवस्था भी धीमी हो रही है. इससे चीन, भारत समेत दूसरे एशियाई देशों में सस्ता सामान बेचने की कोशिश करेगा, इससे भारत के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
अगर यही ट्रेंड जारी रहा, तो भारतीय अर्थव्यवस्था और GDP ग्रोथ पर क्या असर पड़ेगा इस पर भारतीय अर्थव्यवस्था के जानकार मोहम्मद शोएब ने कहा, अगर व्यापार घाटा बढ़ता रहा और रुपया कमजोर होता रह।, तो इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर निगेटिव असर पड़ सकता है।
रुपये की कीमत कमजोर होने से विदेशी निवेशक भारत में निवेश करने से बचेंगे. इससे रुपये पर और ज्यादा दबाव बढ़ेगा।
इससे कैपिटल मार्केट और जीडीपी दोनों पर निगेटिव असर देखने को मिलेगा निर्यात घटने का भी निगेटिव असर होता है। व्यापार घाटा बढ़ता रहेगा।
इसके अलावा, रुपये के कमजोर होने से आयातित सामान महंगे हो जाएंगे, जिससे देश में महंगाई बढ़ सकती है।
व्यापार घाटे के बढ़ने से देश की आर्थिक विकास दर धीमी हो सकती है।
क्योंकि निर्यात में कमी और आयात में वृद्धि से उत्पादन और रोजगार पर नकारात्मक असर पड़ेगा। व्यापार घाटे को पूरा करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करना पड़ेगा, जिससे भंडार में कमी हो सकती है।
व्यापार घाटे को पूरा करने के लिए सरकार को अधिक कर्ज लेना पड़ सकता है।
कुछ उद्योगों को कच्चे माल के आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. रुपये के कमजोर होने से उनकी लागत बढ़ सकती है। निर्यात में कमी से कुछ क्षेत्रों में रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं।
बढ़ते व्यापार घाटे और कमजोर रुपये के कारण सरकार पर आर्थिक नीतियों में बदलाव करने का दबाव बढ़ सकता है।