रिपोर्ट नलिन दीक्षित
वहीं सिर्फ उज्जैन के महाकाल मंदिर में नवरात्रि की तरह महाशिवरात्रि पर्व के पहले नौ दिनों तक शिव नवरात्रि मनाने की परम्परा है। खास बात ये की इस बार शिव नवरात्रि नौ नहीं बल्कि दस दिन तक मनाई जाएगी। इस बार महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि का आरंभ 17 फरवरी सोमवार को पंचमी तिथि से होगा, जो 26 फरवरी महा शिवरात्रि तक रहेगा।
शिव नवरात्रि में दस दिन का विशेष संयोग करीब 30 वर्ष बाद आया है। इस बार महापर्व एक विशेष योग की साक्षी में हो रहा है। यह शश योग विशेष मान्यता इसलिए रखता है, क्योंकि यह योग शनि के केंद्र में होने से बनता है। इस योग को शुभ माना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस योग में की गई साधना मनोवांछित फल प्रदान करती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस प्रकार के योग में शिव पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। पूजन के पश्चात साधक, उपासक या गृहस्थ को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दृष्टि से प्रत्येक शिव भक्त को उपासना करनी चाहिए। भारतीय ज्योतिष शास्त्र की गणना एवं पंचांग की गणना के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्र का 10 दिवस के अनुष्ठान विशेष ग्रहों की साक्षी में हो रहा है। दशकों बाद बनने वाले ग्रह योग में भगवान शिव का पार्थिव पूजन, मूर्ति पूजन, लिंग पूजन या ध्यान पूजन करने से भौतिक और सांसारिक कल्याण की प्राप्ति होती है।
महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने बताया कि इस बार दस दिन की शिव नवरात्रि होने के चलते दस दिन तक भगवान महाकाल का विशेष श्रंगार किया जाएगा। प्रतिवर्ष अनुसार नौ दिन तक चलने वाली शिव नवरात्रि में भगवान को रजत आभूषण, चन्दन उबटन से श्रृंगारित किया जाता है। महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि इस बार सप्तमी दो दिन होने के चलते गृह नक्षत्र तिथि के कारण तीन दशक के बाद दस दिन का शिव नवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। लेकिन महाकाल मंदिर ग्वालियर पंचांग से चलता है इसलिए मंदिर के अन्य पुजारी पुरोहित से मंथन करने के बाद निर्णय लेंगे की मंदिर में शिव नवरात्रि दस दिन की मनाई जाए या फिर नौ दिन की।