रिपोर्ट नलिन दीक्षित
आस्था…विश्वास की आँखें नहीं होती , आस्था को आहत होते हमने पहले भी देखा है । लेकिन आश्चर्य तो तब हुआ जब हजार आंखों वाले देसी मीडिया को गंगा मैया में करोड़ों डुबकी लगाते हुए दिख गए लेकिन हादसे में सांकेतवासी कितने हुए ये नहीं दिखा ? वो आज भी राग दरबारी गाता रहा और प्रधान सेवक दिल्ली में केजरीवाल के पाप गिनाते रहे ! सवाल यह भी है कि क्या स्थान का नाम बदलने से घटनाएं नहीं होती।
कल रात प्रयागराज महाकुंभ में एक बड़ी घटना घट जाती हैं ,आस्था और विश्वास के नाम पर कई लोग साकेतवासी हो जाते है लेकिन भाजपा के नेता संजय निषाद कहते हैं कि जहां भीड़ होती है तो ऐसी घटनाएं घट जाती है । आश्चर्य तो यह देखकर भी होता है कि मौनी अमावस्या के दिन देसी मीडिया वहीं दिखाता रहा जो सरकार चाहती है । दुखद तो यह भी लगता है कि जो मीडिया करोड़ों लोगों के गंगा में डुबकी लगाने वालों की संख्या दिखा देता है ,बता देता है लेकिन वो भगदड़ में मारे गए ,घायल होने वालो की संख्या का पता नहीं लगा पाया।
निःसंदेह घटना बहुत ही दुखद है देश का हर व्यक्ति दुखी है लेकिन आज देश के मीडिया और यूपी सरकार के विश्वस्तरीय प्रबंधन की पोल जनता के सामने खुल गई । देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर खेद जताया लेकिन उसके बाद वो दिल्ली में केजरीवाल के पाप गिनाने ने लग गए । महाकुंभ में हुई घटना को कई लोग भीड़ से जोड़ रहे हैं लिख भी रहे हैं कि जहां भीड़ होती है तो ऐसा होता है ।मान लेते है हादसे के लिए वहीं आस्था और विश्वास गुनाहगार है जिसकी आंख नहीं है ,हाथ पैर नहीं है जुबान नहीं है लेकिन जिनकी आंखे हैं ,हाथ ,पैर ,दिमाग है क्या उनसे हमें सवाल नहीं करना चाहिए कि कैसे उनकी बदइंतजामी के चलते कई लोग साकेतवासी हो गए उस गंगा मैया को प्यारे हो गए जिसमें वो अमृत स्नान करने आए थे ।
आज शर्म तो यह देखकर भी आई कि सनातन धर्म संस्कृति,राम , कृष्ण का नाम लेने वाले देश के 56 इंची सीने वाले प्रधानमंत्री ने दिल्ली वाले केजरीवाल के पाप गिनाए लेकिन वो देश की जनता से यह तक नहीं कह पाए कि भीड़ तंत्र का हिस्सा बनने से बचे ,जो हुआ है उसके जवाबदार हमारे अपने लोग है आगे ऐसी घटना नहीं होगी , मैं प्रधानमंत्री के नाते जनता को यह विश्वास दिलाता हूं । लेकिन वो यह नहीं बोल पाए ! मीडिया ने सिर्फ ये दिखाया कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रधान सेवक मोदी की लगातार बातें हो रही लेकिन वो यह बताने में असमर्थ रहा कि घटना में जो लोग साकेतवासी हुए है वो सब कहां के थे । मीडिया घटना के घंटों बाद भी यह तक नहीं बता पाया है कि घायलों में कितने पुरुष ,महिला ,बच्चे और बुजुर्ग है । मीडिया तो यह दिखा रहा है कि जहरीले पानी पर फंस गए है केजरीवाल । वो यह दिखा रहा है हादसा हुआ,बड़ा हादसा टला।
सही मायनों में देश में एक बार फिर सिद्ध हुआ की आस्था और विश्वास की आंख नहीं होने ,दिमाग नहीं होने से वो अक्सर धर्म के नाम बलि चढ़ जाती है । आज मौनी अमावस्या को 9 करोड़ लोग अमृतमयी हो गए हैं तो कुछ लोगों के हिस्से आस्था का जहर आया । कुछ दिन चर्चा होगी आस्था,विश्वास के नाम मरने वालों की । सरकार मृतकों के परिवार को रुपया देकर खामोश कर देगी । लेकिन अपन तो इस हादसे पर यही कहेंगे कि धर्म और आस्था के कुंभ में जो हुआ है उसके जवाबदार भी वहीं है जो आस्था और विश्वास को भी इवेंट बना देते हैं । धर्म के नाम का हवाला देकर इलाहाबाद को प्रयागराज कर देने के बाद भी सरकार प्रयागराज में निरुत्तर है लोग मरे है ,यह कह रही हैं,कितने काल को प्यारे हुए ये जवाब प्रयागराज के मुखिया योगी के पास भी नहीं है ।मरने वाले अज्ञात लोगों की आत्माओं को भगवान महाकाल शांति प्रदान करे , उनके परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें और जो घायल है उन्हें ईश्वर जल्द स्वस्थ करें ।