रिपोर्ट : सृष्टि त्रिपाठी
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इलाके में ‘असहनीय‘ ध्वनि प्रदूषण होता है. लेकिन पुलिस से बार-बार शिकायत करने के बाद भी कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हो रही
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि लाउडस्पीकर किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है | गुरुवार, 23 जनवरी को एक याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रार्थना के लिए या धार्मिक प्रवचन सुनाने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना किसी भी धर्म का जरूरी हिस्सा नहीं है| और इसलिए मुंबई पुलिस को ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 को सख्ती से लागू करने की जरूरत है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी धार्मिक स्थान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करके ध्वनि प्रदूषण पैदा न करे|
शोर स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है, यह दावा कोई नहीं कर सकता कि अगर उसे लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी गई तो उसके अधिकार किसी भी तरह से प्रभावित हो जाएंगे | यह सार्वजनिक हित की बात है और इसलिए शोर करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, किसी को ऐसी इजाजत न देने से भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 या 25 के तहत अधिकारों का बिल्कुल भी उल्लंघन नहीं होता है, लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है|