रिपोर्ट नलिन दीक्षित
अपनी स्वच्छता के लिए दुनियाभर में मशहूर मध्यप्रदेश के इंदौर जिले की अद्वितीय कलाओं को हर साल देखने आने वाले पर्यटक न सिर्फ इस स्वच्छता का अवलोकन और फिल्मांकन करते हैं बल्कि उससे भी ज्यादा उनकी दिलचस्पी रहती है इंदौर के किसी शहर में इसके कोनों और आवाजाही में मिलने वाली हकीकत का फिल्मांकन करने में।
आज हम बात कर रहे हैं इंदौर के आरटीओ रोड से। यहां की स्वच्छता एवं प्रदूषणमुक्त हवाओं की वाह वाही तो हमने बहुत सुनी होगी लेकिन जब हम जमीनी हकीकत को देखते हैं तो पाते हैं गंदगी, नाला, प्रदूषण, मलीनता। एक नदी जो नाला के नाम से प्रसिद्ध हो चुकी है l कलकल नदी जो एक समय लोगों की प्याज बुझाया करती थी आज लोगों को बीमारीग्रसित करने वाला नाला बन चुकी है। बारिश में यहां गड्ढों में पानी भरता है। ऐसे एक नहीं दो नहीं बल्कि तमाम अनगिनत गड्ढे हैं जो लोगों को बीमारी ग्रसित कर रहे हैं। बड़े बड़े वजनदार वाहन उन गड्ढों को और भी गहरा करने में अपना पूर्ण योगदान दे रहे हैं।
सवाल है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है हम या प्रशासन? किसी भी विकास का मुख्य पैमाना होता है नगरीय और नागरिक विकास एक साथ हों। किंतु इंदौर के नगरीय विकास से क्या नागरिक विकास हो रहा है? क्या वास्तव में नगरीय विकास हो रहा है? उसी नगरीय विकास के पीछे एक कोना ऐसा भी है जहां अस्वच्छता है, गंदगी है, मलीनता है और उस अस्वच्छता से नागरिक विकास होना असंभव है।
वास्तव में जिम्मेदार है इंदौर शहर में रहने वाला हर वो शख्स जो उन गड्ढों को देख उसमें कचरा डालता है। वो वहां जो गड्ढों को देख अपने एक्सीलेटर की गति को और तेज करके वहां से निकल जाते हैं। हमें केवल गड्ढों से निकलना आता है उनको भरना नहीं। और यदि प्रशासन उन गड्ढों को भर देगा तो क्या हम उन्हें सहज पाएंगे। यह नगरीय विकास होना तब ही संभव है जब हम अब एक जिम्मेदारी लेंगे। प्रश्न स्वच्छता करवाएगा और हम स्वच्छता सहेजेंगे तब होगा नगरीय एवं नागरिक विकास से इंदौर एक विकसित शहर।