रिपोर्ट नलिन दीक्षित
मेडिक्लेम और स्वास्थ्य बीमा वाले कब नियमो की आड़ मे हाथ खड़े कर दे कोई नही जानता।
तो अस्पताल मे मरीज और उसके परिवार की जमा पूंजी तेजी से खत्म होने लगती है या परिवार कर्ज के तले दब जाता है। उपर से नकली सांतवना देने वालो की अस्पताल मे भीड़ जमा हो जाती है। और जो फल वो लेकर जाते है सलाईन चढ़े मरीज के किसी काम के नही होते और हैरान – परेशान परिवार वाले भी परेशानी मे खा नही पाते।
खुशियों मे लिफाफे देने के रिवाज को दुख मे भी देने का रिवाज समाज मे बनना चाहिए। और जो भंडारे आदि के चंदा उगाही मे पारंगत है उन्हें भी इस काम मे आगे आना चाहिए।
दान या सहायता वही करना उत्तम है जहां उसका फल फलीभूत हो