मध्यप्रदेश शासन काल में अब आदिवासियों के हक़ भी छीने जा रहें है ऐसा ही मामला एक जाती प्रमाण पत्र में देखने को मिला है जो कि कार्यालय अनुबिभागीय अधिकारी राजस्व तहसील सिवनी जिला सिवनी का आया है इस जाती प्रमाण पत्र में मोहम्मद इमरान खान पिता मोहम्मद इस्ताक खान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत गोड़ जनजाति के बता दिए गए है
जबकि गोड जनजाति आदिवासियों की जाती है इस मामले के संज्ञान में आने के बाद अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह महोदय एवं प्रदेश वरिष्ठ सचिव रामरतन दीक्षित जी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संगठन के प्रदेश मंत्री लाल सिंग जी को आदेश दिया है कि इस मामले की उच्च स्तर पर जांच करवाकर संन्वंधित जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाही करवाई जाए
क्या पता ऐसे कितने ही जाती प्रमाण पत्र जारी करवा दिए गए हो
इसी आदेश का पालन करने हेतु प्रदेश मंत्री लाल सिंग जी द्वारा मुख्यमंत्री महोदय डॉ. मोहन यादव जी एवं जनजाति राजयपाल महोदय के नाम जांच हेतु पत्र लिखा गया है
पत्र में आदिवासियों के हक़ को हर जगह बांटा जा रहा इस प्रकार का घपले ना जाने कितने ही नागरिकों द्वारा लाभ ले लिया गया है इस मामले की उच्चस्तरीय जाँच करने के लाभार्थियों से लाभ वापस लेने और जिम्मेदार अधिकारीयों को पद मुक्त करने की कार्रवाही करने हेतु अनुरोध किया गया है
अब सवाल यह है की एक और भारत में और मध्यप्रदेश में आदिवासियों के लिए नए- नए लाभ एवं योजनाएं सरकार ला रही है और उसी शासन में इस तरह उनको उनके हक़ से दूर किया जा रहा है और उनका हक़ छीनकर बांटा जा रहा है
मध्यप्रदेश शासन काल में अब आदिवासियों का हक़ छीना गया

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