डायरेक्ट काम नहीं होते आम नागरिक के और एजेंटों द्वारा काम आसान और जल्दी हो जाता है
इन्दौर शहर के नगर प्रशासन द्वारा आम आदमी के आधार कार्ड सुधार सुविधा के लिए आधार सेंटर की कईं प्राइवेट दुकानों को दे रखा है और इन्हीं प्राइवेट एम पी ऑनलाइन और आधार सुधार सेंटर द्वारा इन्दौर शहर के ग्रामीण इलाकों मे आधार सुधार सेंटर केंप का आयोजन भी सपरपंचो द्वारा अपने अपने ग्राम मे करवाकर खूब वाहवाही लूट लेटे है
लेकिन हकीकत कुछ और बयान करती है जिन लोगों के आधार सुधार सेंटर केंप के रूप मे लगवाकर सुधार कार्य किये गए थे लेकिन काम ही नहीं हुए
आम नागरिक अपना समय निकालकर आधार सुधार सेंटर मे जाते है और बाद मे पता चले उनका काम ही नहीं हुआ है
आखिर शासन प्रसासन ऐसे आधार सेंटर सुधार सेंटर चलाने की परमिशन कैसे हासिल कर लेटे है और आम आदमी इनके चक्कर मे फसकर आगे जो शासन द्वारा चलाये जा रहे सेंटर पर नहीं जा पाते है और आधार सेंटर वाली दुकानों पर पैसा भी ज्यादा लिया जाता है और जिन लोगों के कार्य जल्दी होना उनको भी बेबकुफ़ बनाकर उनका संचालन करते रहते है इसके अलावा जिन लोगों के आधार सुधार मे कोई त्रुटि होती है उसको इनके द्वारा मोटी रकम लेकर काम आगे रिश्वत खोर कर्मचारियों द्वारा करवा दिया जाता है ऐसा कईं मामले देखने में आते है
आखिर इन्दौर जैसे शहर मे इस प्रकार की भरस्टाचारियाँ खुले आम चल रही है इसका एक उदाहरण कलेक्टर कार्यालय मे भी देखा जा सकता है कैसे एक आम आदमी अपने आय , जाती, मूल निवासी, जन्म प्रमाण पत्र ठीक करवाना जैसे काम के लिए जाता है और कलेक्टर परिषर मे ही खुलेआम दलाल इन लोगों से डील करते और काम करवाते है और कुछ एजेंट आम लोगों को बेबकुफ़ भी बनाते है मोटी रकम लेने के बाद भी कार्य नहीं किये जाते है
अब सवाल यह है की कलेक्टर कार्यालय मे ही एजेंटों द्वारा यहां के कर्मचारियों द्वारा इस तरह की भ्र्स्ताचारी की जा रही है और शासन प्रशासन आँख मुंदे बैठा है जिस आवेदक के काम जल्दी होना होता है उसे इन काउंटर पर बैठे कर्मचारियों द्वारा मना कर दिया जाता है और वही काम परिषर मे बैठा दलाल फ़टाफ़ट करवा देता है