लोकसभा चुनाव के नतीजे भले ही कितने भी अप्रत्याशित हो और सरकार कौन बनायेगी ये भी आने वाले दिनों में साफ़ हो जायेगा लेकिन इस सब के बीच बड़े प्रतिष्ठित टीवी नेटवर्क आपस में ज़ुबानी जंग में जुटे हुए है । ज़ी मीडिया के चेयर मैन सुभाष चंद्रा ने बक़ायदा कई टीवी चैनलों पर आरोप प्रत्यारोप लगाना शुरू कर दिया है । नतीजों के आने से पहले माना जा रहा है कि सुभाष चंद्रा वक़्थ की नज़ाकत को समझते हुए अपनी निष्ठा कही और साबित करने की जुगत में लगे है । ज़ी मीडिया के संस्थापक सुभाष चंद्रा के इस तरह टीवी चैनलों पर एक तरफ़ा होने का आरोप लगाने के पीछे की वजह उनके राजनैतिक भविष्य को लगे झटके के बाद इंडिया गठबंधन को मिली बड़ी बढ़त के चलते एक नया मौके के रूप में भी देखा जा सकता है । इससे पहले भी सुभाष चंद्रा राज्यसभा सांसद रहे है । नये दौर की पत्रकारिता में प्रतिष्ठित टीवी चैनलों पर इस तरह एक तरफ़ा होने का आरोप लगाना न सिर्फ़ ज़ी मीडिया के लिए अपनी विश्वसनियता को खोने जैसा है बल्कि समाज में लोगों के मन में टीवी मीडिया के लिए आने वाले दिनों में अविश्वास का भाव जगायेगा । सुभाष चंद्रा जिस तरह देश के बाक़ी मीडिया ग्रुप पर हमलावर होते नज़र आ रहे है उससे एक बात साफ़ है कि काफ़ी समय बाद उन्होंने अपना ख़ेमा बदला है और अब देखना होगा कि चंद्रा द्वारा शुरू की गई इस ज़ुबानी जंग से आने वाले दिनों में टीआरपी पर भी क्या असर पड़ता दिखेगा । हालाँकि बीते दिनों में संस्थान के तौर पर ज़ी मीडिया ने भी अपने सुर बदल लिए थे और अब नतीजों की हवा भाँपते ही चंद्रा पूरी तरह से पाला बदलते नज़र आ रहे है । टीवी मीडिया जगत में मची इस अंदरूनी जंग से आने वाले दिनों में क्या ज़ी मीडिया के संस्थापक सुभाष चंद्रा अपना राजनैतिक गोल सिद्ध कर पायेगे या नहीं ये तो आने वाला समय तय करेगा। लेकिन इससे कई सालों में ब्रांड बन कर उबरे अपने ग्रुप को भी जनता की अदालत में नुक़सान पहुँचता हुआ देख सकते है ।